ऐसे पड़ा था भगवान गणेश का नाम एकदंत

सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ व नए कार्य की शुरुआत करने से पहले गणपति पूजा का विधान है। उन्हें देवताओं में प्रथमपूज्य माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि बप्पा की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। भगवान गणेश को गजानन, एकाक्षर, विघ्नहर्ता, एकदंत आदि नामों से जाना जाता है, जिनका अपना-अपना महत्व है। आज हम गणेश जी के एकदंत (Ekadanta) नाम की महिमा जानेंगे कि आखिर उन्हें यह नाम कैसे प्राप्त हुआ?
क्या है बप्पा के एकदंत होने की वजह?
एक दांत टूटा होने की वजह से गणेश भगवान को एकदंत कहा जाता है। साथ ही इस बात को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार परशुराम जी भगवान शिव से मिलने पहुंचे थे, लेकिन भोलेनाथ उस समय ध्यानमग्न थे, जिसके चलते भगवान गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। हालांकि कैलाशपति के परमभक्त परशुराम जी इस बात पर अटल थे कि वे शिव जी से बिना मिले नहीं जाएंगे।
वहीं, भगवान गणेश भी अपनी बात पर पूर्ण अडिग थे। इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया और उन्होनें गणेश जी को युद्ध के लिए ललकारा, जिसे बप्पा ने स्वीकार कर लिया और दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। इसके बाद परशुरान जी ने शिव जी से ही प्राप्त फरसे से भगवान गणेश पर वार किया।
गजानन ने अपने पिता के अस्त्र का आदर रखा और परशुराम जी के प्रहार से उनका एक दांत टूट गया। एक दांत टूट जाने के कारण भगवान गणेश एकदंत कहलाएं। हालांकि इस घटना के पश्चात भगवान परशुराम को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने बप्पा को समस्त तेज, बल, कौशल और ज्ञान से परिपूर्ण आशीष प्रदान किया।