मां, बेटा और बेटी तीनों को थी ‘पा फिल्म’ वाली बीमारी, आज एक ही है जिंदा, 40 की उम्र में ही लगती है सौ की!

दुनिया में बहुत ही कम ऐसे लोग होते हैं जिन्हें यह बीमारी होती है. भारत में इस रोग की चर्चा पा फिल्म के कारण खूब हुई थी. इसमें इंसान का शरीर अपनी उम्र की तुलना में कई गुना तेजी से बढ़ता है. फिल्म में 70 पार अमिताभ बच्चन ने एक ऐसे बच्चे के रोल निभाया था जिसे यह लाखों में एक होने वाला रोग था. लेकिन असल जीवन में एक परिवार के तीन लोगों को यह रोग था. आज उन तीनों में से केवल एक ही जीवित है. और कमाल की बात ये की उसने 47 की पार कर ली है, जबकि इस विकार के लोग अपनी किशोरावस्था में ही मर जाते हैं.

केवल बेटी बची है आज
एक परिवार में यह जेनेटिक म्यूटेशन वाला विकार एक मां उसके बेटे और बेटी तीनों को था. लेकिन आज दुनिया में केवल बेटी बची है और तमाम तकलीफों को बाद भी टिफनी वेडेकाइंड एक अच्छा जीवन जी रही हैं और वे अपने रोग के बजाय जिंदगी पर फोकस करना चाहती हैं. उनके मुताबिक उम्र ढलना खुशकिस्मती की बात है.

कब पता चला रोग का
टिफनी को हचिंसन-गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिंडरोम है जिसे दुनिया में लोग प्रोजेरिया रोग के नाम से ज्यादा जानते हैं. उन्हें इस रोग का पता 31 साल की उम्र में चला था. यह साल 2008 की बात है उसी समय में उनके भाई और उनकी मां को अपने इसी रोग की जानकारी मिली थी. लेकिन उनके भाई चाड की 2011 और उनकी मां लिंडा की  मौत हो गई थी.

एक व्यवसायी हैं टिफनी
टिफनी और उनके भाई दोनों को ही बचपन से ही यह विकार था. यहां तक कि 20 साल की उम्र के बाद ही उनके दांत झड़ने लगे थे और बाल पतले होकर झड़ने लगे थे. टिफनी  का तलाक हो चुका है. वे खुद का ही एक व्यवसाय शुरू कर चुकी हैं. उनका एक आर्टिस्ट स्टूडियो और एक कैंडल कंपनी है. काफी साल पहले वे अपने बाल और दांत खो चुकी हैं.  लेकिन वे उम्मीद से कहीं ज्यादा बड़ा जीवन चुकी हैं.

मौत से डर नहीं
ये सच है कि टिफनी अपनी उम्र से बहुत ही अधिक दिखती हैं, और उन्हें दूसरों की तुलना में मौत का ज्यादा खतरा है, लेकिन उनका  कहना है कि उनके पास कम है यह उनके चेहरे पर दिखता है, लेकिन वे आधे समय इसे भूली ही रहती हैं. वे कहती हैं की मौत से डरने की जरूरत नहीं क्योंकि आखिर सभी का यही अंजाम होना है.

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