जापानी लोगों की लंबी उम्र का राज है उनका खान-पान
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लहराते झंडे और भाषा की लय की तरह हर देश व उसकी संस्कृति की पहचान है उसका खानपान। ग्लोबल होती दुनिया में आप किसी भी देश का खाना घर बैठे मंगा सकते हैं पर वास्तविक स्वाद की मांग भी बढ़ी है। कई बार होता यह है कि नाम भले ही हो, पर आथेंटिक यानी वास्तविक स्वाद से भरा खाना मिल जाए यह आवश्यक नहीं। जैसे, जापान का फूड पसंद है तो ज्यादातर उस खाने में स्थानीयता का पुट रहता है या वह फ्यूजन स्वाद के साथ मिलता है।
जापानी भोजन सेहत के हिसाब से बहुत अच्छा माना गया है। इसका कारण है कि यहां अधिकतर लोग वनस्पति आधारित भोजन का प्रयोग करते हैं। मसाले भी आर्गेनिक होते हैं। तेज मिर्च-तीखे मसालों का प्रयोग तो बहुत कम होता है। आइए जापानी खाने की विशेषताओं के बारे में एशियाई खानपान के विशेषज्ञ देवेन चड्ढा से जानते हैं।
सीफूड की प्रधानता
जापान के भोजन में सीफूड की प्रधानता है। हालांकि जापानी मीट व डेयरी उत्पाद भी खाते हैं पर मछली की खपत खूब होती है यहां। समुद्र तट पर सुस्ताते लोग सूशी में भी फिश का सेवन करते मिल जाएंगे। बता दें कि सीफूड ओमेगा-3 फैटी एसिड का बेहतर स्रोत माने जाते हैं। यह एक स्वस्थ वसा है जो दिल को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक है। दिल स्वस्थ हो, मधुमेह, उच्च रक्तचाप की समस्या न हो तो औसत उम्र भी अधिक होगी, जापान के लोगों पर यह बात सटीक बैठती है।
फर्मेंटेड फूड यानी सेहत का खजाना
अधिक तले-भुने खानपान से दूरी बरतना जरूरी है। जापान के पारपंरिक खानपान में यह विश्वास पुराना है। दरअसल, यहां की डायट में फर्मेंटेड फूड की अधिकता रहती है। उदाहरणस्वरूप साके, मीसो, नुकाजुके जैसे फर्मेटेंड फूड लोग खूब पसंद करते हैं। फर्मेंटेड फूड में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो गट हेल्थ यानी पाचन से जुड़ी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए जरूरी होता है। बेहतर पाचन क्रिया होगी तो हम जिन पोषक तत्वों का सेवन करते हैं, उनको सही तरीके से शरीर अवशोषित कर सकता है।
मैदा से दूरी बहुत जरूरी
आज दुनिया भर में ग्लूटेन फ्री खानपान की मांग बढ़ रही है। मैदा से दूरी बरतना इसी का हिस्सा है। जापान के खानपान की यह भी एक विशेषता है यानी ग्लूटेन रहित भोजन। जैसे जापान में लोकप्रिय है डिमसम। यह मोमोज की तरह दिखता है पर मोमोज से बिलकुल अलग होता है। इसे तैयार करने में मैदा का प्रयोग नहीं होता। यह पूरी तरह से ग्लूटेन फ्री होता है। यही कारण है कि डिमसम खाने के बाद आपको किसी तरह का भारीपन महसूस नहीं होता। पेट भरा होता है और खाना खाने के तुरंत बाद वाली सुस्ती नहीं रहती है।
जापानी रसोई के चार चटखारे
एवकाडो ककंबर उरामाकी सूशी
जापान की बात करें तो सूशी की बात जरूर होती है। यह टुना, सालमोन मछली या सब्जियों के साथ मिला रोल होता है। इसे खाने से पूर्व आपको कैलोरी की चिंता नहीं होती। इसमे प्रोटीन भी प्रचुरता में मिल जाता है। सूशी को आजमाना हो तो आप एवकाडो व ककंबर सूशी को ट्राई कर सकते हैं। यह यह पके हुए एवकाडो और ताजे खीरे से बनता है। इस रोल का कवर चावल और नोरी शीट से तैयार होता है।
चिली चीज डिमसम
यह आपको फ्यूजन का आनंद देगा। एकदम मुलायम और भाप में पका डिमसम जिसका आवरण गेहूं व आलू के स्टार्च से तैयार होता है। इसके भीतर चीज के साथ मशरूम व सिंघाड़ा इस व्यंजन को स्वाद व सेहत से भरपूर बनाता है।
रैनडेंग करी
यह जापान का लोकप्रिय व्यंजन है। बहुत धीमी गति से तैयार होता है। इसमें केवल आर्गेनिक मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। जैसे गलगल, लेमनग्रास, हल्दी और क्रीम से भरपूर नारियल का दूध। यह मुख्य रूप से इंडोनेशिया का व्यंजन है जो जापानी आहार का अंग बन गया है।
बैंग बैंग चिकेन
यह चिकेन का मीठा और थोड़ा मसालेदार व्यंजन है। थोड़ा मुलायम और क्रिस्पी भी होता है। इसके साथ कार्नेशन मिल्क ( दूध से साठ प्रतिशत पानी उड़ाकर इसे तैयार किया जाता है मगर यह कंडेस्ड मिल्क से अलग है) का सास इसे और खास बनाता है।