गाबा के ऐतिहासिक स्टेडियम पर अंतिम बार टेस्ट खेलने उतरेगी भारतीय टीम, जानें ऐसा क्यों
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का तीसरा टेस्ट मैच ब्रिसबेन में खेला जाएगा। शहर में हर तरफ उत्सुकता का माहौल है न सिर्फ क्रिकेट को लेकर बल्कि 2032 में होने वाले ओलंपिक और पैरालंपिक को लेकर भी। खेलों के महाकुंभ की तैयारियों को लेकर क्वींसलैंड की राजधानी ब्रिस्बेन में इन दिनों बदलाव की बयार चल रही है।
इसी शहर में प्रतिष्ठित गाबा स्टेडियम भी है और यह क्रिकेट स्टेडियम भी बदलाव के लिए तैयार है। गाबा के नवीनीकरण में 1.6 बिलियन डॉलर (1375 करोड़ रुपये) खर्च किए जाएंगे और इसकी दर्शक क्षमता को बढ़ाकर 50 हजार किया जाएगा। साथ ही कई आधुनिक सुविधाएं इस स्टेडियम में विकसित की जाएंगी।
एशेज बनेगा अंतिम टेस्ट गवाह
इस स्टेडियम में 2032 ओलंपिक खेलों का उद्घाटन और समापन समारोह के साथ ही अन्य खेलों की स्पर्धाएं होंगी। भारतीय टीम इस मौजूदा स्टेडियम में अंतिम बार खेलेगी, जबकि अगले वर्ष एशेज सीरीज में यह स्टेडियम अंतिम टेस्ट मैच की मेजबानी करेगा।
जानकारों के अनुसार, पुनर्विकास के बाद इस गाबा मैदान पर टेस्ट क्रिकेट की वापसी संभव नहीं है क्योंकि नया विक्टोरिया पार्क स्टेडियम भविष्य में टेस्ट मैचों के लिए पसंदीदा स्थल के रूप में उभर रहा है। इस हफ्ते जब क्रिकेट प्रशंसक गाबा में एकत्र होंगे तो वे न सिर्फ एक रोमांचक मुकाबला देख रहे होंगे, बल्कि एक बड़े बदलाव की शुरुआत भी देख रहे होंगे।
बहुत याद आएगा गाबा
फिर भी जैसे-जैसे ब्रिसबेन एक गतिशील भविष्य की ओर बढ़ रहा है, गाबा की शानदार क्रिकेट विरासत के इर्द-गिर्द एक उदासीनता की भावना है। यह मैदान 1931 से टेस्ट क्रिकेट में अविस्मरणीय क्षणों का मंच रहा है। जब गाबा ओलंपिक स्थल में तब्दील हो जाएगा, तो बल्ले से गेंद टकराने की आवाज, भीड़ की गर्जना और तनावपूर्ण मैच का रहस्य बहुत याद आएगा।जिन लोगों ने इसके जादू का अनुभव किया है, उनके लिए यह बदलाव न सिफऱ् एक नए युग की शुरुआत है, बल्कि विश्व क्रिकेट इतिहास के एक यादगार अध्याय का अंत भी है।बता दें कि भारत और ऑस्ट्रेलिया मौजूदा सीरीज में 1-1 की बराबरी पर हैं। दोनों टीमों की कोशिश गाबा में जीत दर्ज करके बढ़त अपने पास रखने की होगी।