गोंडा के कल्लू और सारस की है अनोखी दोस्ती…पढ़े पूरी खबर

इंसान और जानवर की दोस्ती आपने किस्सों कहानियों और रुपहले पर्दे पर तो देखी होगी लेकिन हम आपको रील लाइफ के बजाय रियल लाइफ में इंसानों और एक पक्षी के बीच की दोस्ती दिखाते है. जी हां, सारस के घाव पर मरहम लगाने से शुरू हुई दोस्ती अब चर्चा की विषय बनी हुई है. कल्लू और सारस की दोस्ती गोंडा जिले में मिसाल बनी हुई है. यह दोस्ती भले ही देखने व सुनने में अजीब लगे लेकिन अमेठी के आरिफ के बाद अब गोंडा के कल्लू की सारस से दोस्ती लोगों की जुबान पर है.

यह दोस्ती शायद आपको अजब-गजब लगे पर पूरी तरह सच है. इंसान और एक पक्षी की दोस्ती गोंडा में मिसाल बन चुकी है. बिना किसी स्वार्थ के कल्लू और सारस की दोस्ती इतनी मजबूत हो गई कि देखते ही देखते जीवन का हिस्सा बन गया. बीते दिसंबर 2022 में कल्लू सुबह-सुबह खेतों की ओर गया हुआ था उसी खेत के पास तालाब किनारे घायल अवस्था में चील और कौवे उसे नोच रहे थे. सारस को अपना निवाला बनाने के लिए बेताब थे.

कल्लू ने जब करीब जाकर देखा तो सारस की धड़कने चल रहीं थीं फिर कल्लू सारस को अपने साथ घर लेकर चला आया और 4 महीने लगातार इलाज के बाद सारस ठीक हो गया. ठीक होने के बाद कल्लू सारस को उसी तालाब पर कई बार छोड़कर कर चला आया, लेकिन बेजुबान सारस ने जिन्दगी देने वाले कल्लू को भगवान और दोस्त दोनों बना लिया.

दरअसल उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के खोडारे विकासखण्ड बभनजोत ग्राम पंचायत मन्नीजोत मजरा डिवलीडीह गांव का रहना वाला है. ग़रीबी के चलते झोपड़ी ही उसका आशियाना है. इसी आशियाने और गांव में अब सारस भी रहता है और लोगों का दोस्त बन चुका है.

सारस और कल्लू के रिश्ते का अनोखा प्रेम
सारस और कल्लू के रिश्ते की कहानी यूं तो हर तरफ सुनाई जाती है लेकिन वहीं स्थानीय लोगों का भी एक अनोखा प्रेम सारस के प्रति देखने को मिलता है. सारस को जब कुल्लू नहीं मिलता तो वह सारस गांव में किसी के घर जाकर खाना खाने के लिए चला जाता है. सारस से ग्रामीण के लोगों की इस तरह से दोस्ती है कि गांव के लोग हर समय सारस का इंतजार करते रहते हैं.

गांव के लोगों के बीच घुल मिल गया सारस
यानी यह सारस अब पूरे गांव के लोगों के बीच घुल मिल गया है. वहीं गांव में नुक्कड़ पर छोटी सी दुकान है जहां आने-जाने वाले लोग सारस और गांव के प्रति दोस्ती देखकर हर इंसान कुछ ना कुछ सारस को खिलाकर दोस्ती करना चाहते हैं.

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