शरीर में हार्मोनल असंतुलन बना सकती हैं कई समस्याओं का शिकार

बढ़ती उम्र के साथ ही महिलाएं कई समस्याओं का शिकार होने लगती हैं। हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) इन्हीं समस्याओं में से एक है जिसकी वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शरीर में हार्मोनल इम्बैलेंस अनियमित पीरियड्स वजन बढ़ना मूड स्विंग होना जैसी कई समस्याओं की वजह बनता है। ऐसे में कुछ जड़ी-बूटियां इससे राहत दिलाने में मददगार साबित होंगी।

महिलाओं को अक्सर कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और काम का बढ़ता बोझ उन्हें कई समस्याओं का शिकार बना देता है। हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) इन्हीं में से एक है, जिससे ज्यादातर महिलाएं परेशान रहती हैं। इसकी वजह से उन्हें अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना, मूड स्विंग होना, किसी काम में मन न लगना, टेंशन, एंग्जायटी, स्ट्रेस , डिप्रेशन, थकान, पाचन समस्या, बालों का गिरना, असमय सफेद होते बाल, स्लीप डिसऑर्डर आदि सामना करना पड़ता है।

यह सभी समस्याएं महिलाओं के लिए रोजमर्रा के जीवन को काफी प्रभावित करती है। ऐसे में कई महिलाएं दवाओं की मदद से इसे कंट्रोल करने की कोशिश करती हैं। हालांकि, दवाओं के अलावा आप आयुर्वेदिक तरीकों से भी हार्मोनल असंतुलन को कंट्रोल कर सकती हैं। ये नेचुरल उपाय आपको इन सभी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में आप जानेंगे कुछ ऐसी जड़ी-बूटियों के बारे में, जो महिलाओं में होने वाले हार्मोनल असंतुलन में लाभकारी होती हैं।

अश्वगंधा

लंबे समय बहुत सारे उपचारों में अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता रहा है। ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए यह बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे चाय के रूप में पीते हैं। ये मार्केट में पाउडर या चाय के रूप में आसानी से मिल जाता है। साथ ही यह यह स्ट्रेस को कम करने और नींद अच्छी दिलाने में भी मदद करता है। अश्वगंधा इंसुलिन लेवल और रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स को नियमित करने में सक्षम है।

मार्जोरम

ये बहुत समय पहले से ही आयुर्वेद में इलाज के लिए मदद करता है। इसमें फ्लेवोनोयड भी होता है, जो हमारे स्ट्रेस को कम करने और महिलाओं में पीसीओएएस को कंट्रोल करने में मददगार होता है।

चेस्टेबरी

ये जड़ी बूटी मार्केट में कैप्सूल या एक्सट्रैट के रूप में मिलती है। ये महिलाओं में होने वाली समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। साथ ही उनमें होने वाली रिप्रोडक्टिव हेल्थ प्रॉब्लम से भी राहत दिलाती है। मेनोपॉज के लक्षणों को कम करने में भी यह मददगार है।

शतावरी

महिलाओं में प्रजनन संबंधी समस्याओं के लिए इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। ये एस्ट्रोजन लेवल को मेंटेन करने में मदद करता है। इससे न सिर्फ प्रजनन संबंधी समस्याओं में सुधार होता है, बल्कि उनकी पीरियड्स साइकिल में भी सुधार होता है।

गोक्षुरा

ये एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसका उपयोग ज्यादातर पुरुषों में होने वाले हार्मोनल डिस्बैलेंस को नॉर्मल करने के लिए किया जाता है। ये यौन संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ मांसपेशियों और ऊर्जा के लेवल को बढ़ाने में भी मदद करता है।

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