इन जगहों से जुड़ा इतिहास या अद्भुत राज लोगों को अपनी तरफ काफी आकर्षित करता है..
दुनिया में ऐसी कई रहस्यमयी जगहें हैं जिनकी गुत्थी आज तक अनसुलझी है। आज आपको एक ऐसी ही रहस्यमयी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल यह कुंड मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में मौजूद है। जिसे भीम कुंड के नाम से जाना जाता है।
हमारे देश में घूमने के लिहाज से एक से बढ़कर ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद हैं। इन जगहों से जुड़ा इतिहास या अद्भुत राज लोगों को अपनी तरफ काफी आकर्षित करता है।
मध्य प्रदेश को भारत का दिल कहा जाता है। यहां घूमने-फिरने के लिए काफी खूबसूरत जगहें हैं। यहां एक रहस्यमयी कुंड भी मौजूद है, जो दुनियाभर में चर्चित है। यह कुंड मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले से करीब 70 किमी दूर स्थित बाजना में मौजूद है। इस भीमकुंड से एक कथा भी जुड़ी हुई है, जो महाभारत काल की है।
पौराणकि कथा के अनुसार, अज्ञातवास के दौरान पांच पांडव वन से जा रहे थे, उसी समय द्रौपदी को प्यास लगी। पांचों भाइयों ने आसपास पानी की तलाश की, लेकिन कहीं भी उन्हें पानी नहीं मिला। इसके बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाई नकुल को कहा कि वे पता लगा सकते हैं कि धरती में पानी कहां है? ऐसे में नकुल ने भाई की आज्ञा पर धरती से निकलने वाले पानी के स्त्रोत के बारे में पता किया। लेकिन समस्या ये थी कि पानी निकाला कैसे जाए।
तभी भीम ने अपनी गदा उठाई और नकुल के बताए गए स्थान पर प्रहार किया। उनकी गदा के प्रहार से धरती में बहुत गहरा छेद हो गया और पानी दिखाई देने लगा। लेकिन कथा के अनुसार, भूमि की सतह से जल स्रोत लगभग तीस फीट नीचे था । इस स्थिति में युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि अब तुम्हें अपनी कौशल से जल तक पहुंच मार्ग बनाना होगा। ऐसे में अर्जुन ने अपने बाणों से जल स्रोत तक सीढ़ियां बना दीं । धनुष की सीढ़ियों से द्रौपदी को जल स्रोत तक गईं।
इस कुंड का निर्माण भीम की गदा से हुआ था इसलिए इसे भीमकुंड के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस कुंड का पानी बिल्कुल नीला और साफ है। ऐसा भी माना जाता है कि इस कुंड की गहराई में कुएं जैसे दो बड़े छिद्र हैं, एक में बहुत तेजी से पानी आता है और दूसरे से वापस चला जाता है।