सीईटी में पांच बोनस अंक की हरियाणा की नीति पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी कार्यसूची के अनुसार जस्टिस अभय एस.ओक और राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। पिछले हफ्ते सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई स्थगित करने की बात मान ली थी क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील ने 31 मई के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो और समान याचिकाएं दायर की थीं। राज्य सरकार ने यह नीति 5 मई 2022 से लागू किया था।

सुप्रीम कोर्ट हरियाणा सरकार और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की याचिकाओं पर सोमवार को संयुक्त रूप से सुनवाई करेगा। इन याचिकाओं में सामान्य पात्रता परीक्षा (कामन एलेजिबिल्टी टेस्ट-सीईटी) में दिए गए पांच अतिरिक्त अंकों को हटाने के पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी कार्यसूची के अनुसार जस्टिस अभय एस.ओक और राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी। पिछले हफ्ते सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई स्थगित करने की बात मान ली थी क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील ने 31 मई के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो और समान याचिकाएं दायर की थीं।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कही ये बात
हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार की इस नीति को खारिज किया था जिसमें हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) के ग्रुप सी और डी के इसी राज्य के अभ्यर्थियों को सामाजिक-आर्थिक आधार पर पांच बोनस अंक दिए जाते हैं। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी भी राज्य को यह अधिकार नहीं है कि वह अपने यहां के निवासियों को पांच प्रतिशत अतिरिक्त अंकों का लाभ दे।

राज्य सरकार ने बनावटी वर्गीकरण करके इन पदों के लिए आवेदन करने वाले कुछ लोगों को लाभांवित किया। राज्य सरकार की इस नीति की आलोचना करते हुए अपने फैसले में कहा कि सरकार ने यह पूरा चयन ही बहुत बेतरतीब किया है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने यह नीति 5 मई, 2022 से लागू किया था।

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