अवध के रण में अंबेडकरनगर के रणबांकुरों का मोर्चा
लोकसभा चुनाव में इस बार चार सीटों पर अंबेडकरनगर की गूंज है। यहां के नेता लालगंज, श्रावस्ती और अयोध्या सीट पर भी अलग-अलग दल से मोर्चा संभाले हैं। ऐसे में जनपदवासियों की निगाह स्थानीय के साथ ही अवध की संबंधित सीटों पर भी बनी हुई है। पल-पल बदलते समीकरण पर धड़कने बढ़ रही हैं। हार-जीत का गुणा गणित भी लगा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव का रोमांच इस बार अंबेडकरनगर में देखते ही बन रहा है। यहां के नेता सिर्फ अंबेडकरनगर संसदीय क्षेत्र से ही नहीं, बल्कि श्रावस्ती से अकबरपुर निवासी राम शिरोमणि वर्मा चुनाव मैदान में मोर्चा संभाले हैं। गत लोकसभा चुनाव भी उन्होंने श्रावस्ती से ही बसपा के टिकट पर लड़ा और जीता भी था। मार्च में बसपा से निकाले जाने के बाद अटकल थी कि वे शायद अकबरपुर से विधानसभा चुनाव की तैयारी करें। हालांकि सपा में शामिल होकर वे श्रावस्ती से इस बार भी अंबेडकरनगर की चर्चा को बरकरार रखे हुए हैं।
अकबरपुर में ठौर बनाकर भाजपा से राजनीति शुरू करने वाले सच्चिदानंद पांडेय ने अंबेडकरनगर से टिकट न मिलने पर बसपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। मूल रूप से आजमगढ़ निवासी सच्चिदानंद ने यहां टिकट मिलने की उम्मीद में आवास से लेकर व्यवसाय तक फैला लिया था। अब वे अयोध्या जैसी महत्वपूर्ण सीट पर बसपा के टिकट से चुनाव मैदान में हैं। अयोध्या के लिए एकदम नए सच्चिदानंद की पहचान अंबेडकरनगर के नाम से ही हो रही है। बसपा के ही टिकट पर लालगंज लोकसभा सीट से मैदान में उतरीं डॉ. इंदु चौधरी अंबेडकरनगर जिले के ही राजेसुल्तानपुर की रहने वाली हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और पति इंजीनियर।
निर्दल लड़ पवन ने चौंकाया था
शिवसेना प्रदेश अध्यक्ष रह चुके पवन पांडेय ने बतौर निर्दल प्रत्याशी सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को पीछे छोड़कर सबको चौंका दिया था। अकबरपुर से शिवसेना के विधायक रह चुके पवन की दखल सुल्तानपुर जिले की राजनीति में दशकों से बनी हुई है।
- वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में पवन ने निर्दल चुनाव लड़कर 1,29,525 मत हासिल किया था गांधी परिवार की करीबी कांग्रेस प्रत्याशी दीपा कौल को मात्र 82,385 मत ही मिल सके। पवन पांडेय को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सुल्तानपुर से टिकट दिया। जीत भाजपा के वरुण गांधी को मिली, लेकिन 2,31, 446 मत पाकर वे दूसरे स्थान पर रहे।
- सपा के शकील और कांग्रेस की अमीता सिंह काफी पीछे रहीं। बीच के लोकसभा चुनाव में पवन खुद तो नहीं लड़े, लेकिन उनके सक्रिय प्रचार ने वहां हलचल मचाए रखी। जिले के युवाओं की टीम भी सुल्तानपुर जाकर चुनाव प्रचार की कमान संभालती रही है।
इन्होंने भी आजमाया भाग्य
प्रदेश के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे जलालपुर निवासी राम लखन वर्मा भी गैर जनपद की संसदीय सीट पर भाग्य आजमा चुके हैं। जलालपुर से विधायक और बसपा सरकार में मंत्री रह चुके दिवंगत राम लखन की हैसियत बसपा सरकार में प्रभावशाली हुआ करती थी। बाद में वे सपा में शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें 1999 के लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से मैदान में उतारा, लेकिन वे बसपा के जयभद्र सिंह के हाथों पराजित हो गए। उन्हें 1,58, 959 मत मिले थे। पूर्व मंत्री टांडा निवासी लालजी वर्मा को 2014 में बसपा ने श्रावस्ती से मैदान में उतारा। वे 1,94,890 मत के साथ तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा के दद्दन मिश्र ने 3,45,964 मत के साथ जीत दर्ज की तो सपा से अतीक अहमद 2,60,051 मत के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
सुल्तानपुर में भी पैठ
तीनों सीटों पर जिले के प्रत्याशियों के चुनावी मैदान में होने के कारण स्थानीय लोगों की भी उत्सुकता संबंधित समीकरण और माहौल को लेकर बनी हुई है। एक और सीट सुल्तानपुर, जहां से काफी दिन तक अंबेडकरनगर की गूंज रही। वहां से जलालपुर निवासी भीम निषाद को सपा ने टिकट दिया था। हालांकि गत दिवस उनका टिकट काट दिया गया, लेकिन अब चुनाव तक किसी न किसी कारण से भीम निषाद और अंबेडकरनगर की गूंज सुल्तानपुर में भी सुनने को मिलती रहेगी।