बैन कर दी गई थीं Manoj Kumar की फिल्में, एक्टर ने लिया था सरकार से पंगा

पर्दे पर कई बार देखा गया है कि हीरो सरकार के खिलाफ या राजनेताओं के खिलाफ कोर्ट केस लड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार (Manoj Kumar) एकमात्र ऐसे एक्टर हैं, जिन्होंने करियर के पीक पर सत्ता पक्ष के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी थी।

उनकी फिल्मों को सरकार की तरफ से बैन कर दिया गया था। जिसके चलते मनोज ने मोर्चा खोल दिया था। आइए इस मामले को थोड़ा और विस्तार में जानते हैं। आपको बताएंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो मनोज और देश की सरकार आमने-सामने आ गए थे।

सरकार के खिलाफ हो गए थे मनोज
साल 1975 का दौर था और देश में इमरजेंसी लगाई जा चुकी थी। इसका असर सियासी गलियारे से लेकर सिनेमा जगत तक पड़ा। देवानंद और किशोर कुमार जैसे दिग्गजों ने इसका विरोध किया। इतना ही नहीं मनोज कुमार इस मामले में सबसे आगे निकल गए। दरअसल संडे गार्जियन को दिए एक मीडिया इंटरव्यू में अभिनेता ने इस पर खुलकर बात की थी। उन्होंने बताया था-

आपातकाल के दौर में मुझे मशहूर लेखिका अमृता प्रीतिम द्वारा लिखित एक डॉक्यूमेंट्री का निर्देशन करने के लिए कहा गया था। जो इमरजेंसी के सपोर्ट के प्लाट पर आधारित थी। देश के सूचना एंव प्रसारण मंत्रायल की तरफ से मुझे इसे डायरेक्ट करने के लिए स्पेशल फोन कॉल भी आया था।

मैंने ऐसा करने से मना कर दिया और बाद में मेरी ही खिलाफ कार्रवाई हुई। मेरी फिल्मों को धीरे-धीरे दूरदर्शन से बैन कर दिया गया, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और सरकार के खिलाफ कोर्ट केस कर दिया। बड़े संघर्ष के बाद मुझे जीत मिली और मेरा फैसला सही साबित हुआ।

इस तरह से मनोज ने सरकार के विरोध कानूनी लड़ाई लड़कर एक नई मिसाल कायम की थी। उनके इस जज्बे का जिक्र आज भी किया जाता है।

बैन कर दी गई थीं मनोज की ये मूवीज
उपकार, पूरब और पश्चिम और शहीद जैसे शानदार फिल्मों के जरिए मनोज कुमार ने आपातकाल के दौर से पहले खुद को एक सुपरस्टार और सफल डायरेक्टर के तौर पर स्थापित कर लिया था। लेकिन इमरजेंसी की वजह से उनकी दो फिल्मों को सबसे अधिक मार झेलनी पड़ी।

शोर और दस नंबरी उनकी वो दो मूवीज थी, जिनको सरकार की तरफ से बैन कर दिया गया था। लेकिन बाद में कोर्ट केस जीतने के बाद उन्हें रिलीज किया गया। हालांकि, कमर्शियल तौर पर ये मूवीज सफल नहीं हो सकीं।

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