लखनऊ में होगी आज बिजली पंचायत…

पूरे प्रदेश में इसको लेकर प्रदर्शन जारी है। रविवार को इस मामले में बिजली पंचायत आयोजित होगी।

पूर्वांचल और दक्षिणांचल को पीपीपी मॉडल पर देने का विरोध निरंतर जारी है। शनिवार को शक्ति भवन में भी अभियंताओं ने प्रदर्शन किया। रविवार को लखनऊ में बिजली पंचायत होगी, जिसमें देशभर के ऊर्जा संगठनों के पदाधिकारी हिस्सा लेंगे। वे निजीकरण से होने वाले नुकसान से वाकिफ कराएंगे।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से शनिवार को शक्तिभवन और हाइडिल में जन जागरुकता अभियान चलाया गया। निजीकरण के विरोध में नारेबाजी हुई। चेतावनी दी गई कि कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण का फैसला नहीं बदला तो उग्र प्रदर्शन किया जाएगा। देर शाम फील्ड हास्टल में हुई बैठक में रविवार को दोपहर 12 बजे राणा प्रताप मार्ग स्थित हाईडिल फील्ड हॉस्टल में होने वाली बिजली पंचायत की सफलता की रणनीति बनाई गई। बिजली पंचायत में कर्मचारियों, अभियन्ताओं, संविदा कर्मियों, किसानों और आम उपभोक्ताओं को भी बुलाया गया है।

संघर्ष समिति ने कार्पोरेशन प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि फील्ड के बिजली कर्मी और अभियन्ता एक मुश्त समाधान योजना में पूरी निष्ठा से लगे हुए हैं। बिजली पंचायत रविवार को है। इसके बाद भी पूर्वांचल और दक्षिणांचल के अभियंताओं और कार्मिकों को उसमें शामिल होने पर धमकी दी जा रही है।

बैठक में राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय,सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पांडेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी आदि मौजूद रहे।

पंचायत में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के सचिव पी रत्नाकर राव, ऑल इंडिया पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आरके त्रिवेदी, इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के सचिव प्रशान्त चौधरी, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाईज के सचिव मोहन शर्मा एवं अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा आदि मौजूद रहेंगे। इसके अलावा राज्य कर्मचारी महासंघ और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद सहित राज्य सरकार के सभी श्रमसंघों के पदाधिकारी भी बिजली पंचायत में हिस्सा लेंगे।

एसोसिएशन आज तैयार करेगा लीगल सेल
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन की केंद्रीय कार्य समिति की रविवार को होने वाली बैठक में लीगल सेल तैयार किया जाएगा। आरक्षण समर्थक कानूनविदों की यह सेल निजीकरण के मसले पर संघर्ष करेगी। एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि निजीकरण से आरक्षित पद कम हो जाएंगे। इन पदों को बचाने के लिए संगठन विधिक मजबूती के साथ भी अपनी बात को रखने के लिए विधिक पैरामीटर पर भी काम शुरू करेगा।

पीपीपी मॉडल के मसौदे की हो सीबीआई जांच
उपभोक्ता परिषद की ओर से शनिवार को आयोजित वेबिनार में प्रदेशभर के उपभोक्ताओं ने पीपीपी मॉडल के लिए उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी कर तैयार किए गए मसौदे की सीबीआई जांच कराने की मांग की। उपभोक्ताओं ने कहा कि कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजी घरानों को उपकृत करने के लिए निजीकरण (पीपीपी) का मसौदा तैयार करते समय आंकड़ों में हेरफेर की। एनर्जी टास्क फोर्स में रखे गए आंकड़ें भी उपभोक्ताओं के हितों के विपरीत हैं।

ऐसे में प्रस्ताव करने के मामले की सीबीआई जांच कराई जाए ताकि हेराफेरी करने वाले सामने आ सके और उनके खिलाफ कार्रवाई हो। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि कार्पोरेशन प्रबंधन का मसौदा उजागर हो चुका है। कंपनियों के सकल मूल्य का मामला हो अथवा हानियों से जुड़ा प्रकरण। रिजर्व प्राइस के मामले भी सामने आ चुके हैं। जहां भी केंद्र सरकार की स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन का उल्लंघन किया गया, उसका परिषद ने खुलासा किया है।

तो नए सिरे से तैयार होगा पीपीपी मॉडल का मसौदा
सूत्रों की मानें तो पावर कार्पोरेशन प्रबंधन की ओर से तैयार किया गया पीपीपी मॉडल के मसौदे को अब नए सिरे से तैयार किया जाएगा। ऐसे में दोनों निगमों को पीपीपी मॉडल के तहत संचालित करने की कवायद अधर में लटक सकती है। अभी इस मसले पर लंबा वक्त लगने की उम्मीद है।

पावर कार्पोरेशन प्रबंधन की ओर से पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने के लिए प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी)का मसौदा तैयार किया गया। इसे निदेशक मंडल की बैठक में पारित कराकर एनर्जी टास्क फोर्स में भेजा गया। यहां भी इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई। कैबिनेट में ले जाने से पहले इसके वित्तीय और विधिक पहलुओं की पड़ताल हुई, जिसमें कई तरह की खामियां पाई गई हैं।

सूत्रों का कहना है कि अब इस प्रस्ताव के विधिक पहलुओं का अध्ययन करने के लिए नए सिरे से एक परामर्शी की तैनाती की तैयारी भी चल रही है। यह परामर्शी प्रस्ताव के वित्तीय, विधिक और अन्य पहलुओं का नए सिरे से अध्ययन करेगा और प्रस्ताव में विभिन्न बिंदुओंको जोड़कर दोबारा एनर्जी टास्क फोर्स में पेश करेगा।

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