छत्तीसगढ़ में तेंदुए के हमले से हुई एक महिला की मौत…

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में कुंवारपुर क्षेत्र के सिंगरौली में मंगलवार सुबह घर के पास निकली महिला पर तेंदुआ ने हमला कर उसे मार डाला। इंसानों पर तेंदुए के हमले की एक महीने में यह तीसरी घटना है। 20 दिनों पहले तेंदुए ने जंगल की तरफ गई एक बूढी महिला को मार डाला था। वहीं करीब 10 दिनों पहले तेंदुए ने घर में खेल रहे आठ वर्षीय बालक पर हमला कर उसे उठाकर भागने की कोशिश की थी। तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग की कोशिशें नाकाम रही हैं। वनविभाग ने बकरा बांधकर पिंजरा लगाया था, लेकिन तेंदुआ नहीं फंस सका। 

तेंदुए ने मंगलवार को एक शौच के लिए निकली महिला को शिकार बनाया। कुंवारपुर रेंज के ग्राम सिंगरौली पुरनिहापारा निवासी 54 वर्षीया उमाबाई आज सुबह लगभग 7.30 बजे अपने घर के बाहर शौच के लिए गयी हुई थी। तभी तेंदुआ वहां पहुंच गया और महिला पर हमला कर उसे खींचकर ले गया। बीती घटनाओं से सहमे लोग महिला की आवाज सुनकर भी नहीं पहुंचे। झाड़ियों से महिला का शव बरामद किया गया है।

गले पर हमले से गयी महिला की जान

तेंदुए के हमले से महिला की मौत की सूचना पर रेंजर चंद्रमणि तिवारी अपने अमले के साथ मौके पर पहुंचे। उमाबाई का शव घर से थोड़ी दूर झाड़ियों के पास पड़ा हुआ मिला। उसके गले एवं सिर में तेंदुए के दांतों के गहरे निशान मिले हैं। उसका काफी खून बह गया था। संभवतः श्वास नली कटने एवं नसों के कट जाने से महिला की मौत हो गई है। घटना से लोग दहशत में हैं।

20 दिनों में तीसरी घटना

कुंवारपुर क्षेत्र में तेंदुए के हमले की 20 दिनों में यह तीसरी घटना है। 11 दिसंबर को तेंदुए ने ग्राम तितौली के जंगल में लकड़ी बीनने गई वृद्धा फुलझरिया 65 वर्ष पर हमला कर उसे मार डाला था और नोचकर खा गया था। 23 दिसंबर को तेंंदुए ने ग्राम छापरटोला में घर के आंगन में खेल रहे 8 वर्षीय बालक सुरेश पर हमला कर उसे दबोच लिया था और उसे लेकर भागने की कोशिश की थी। आंगन का आहाता उंचा होने के कारण वह बच्चे को उठाकर आहाता नहीं फांद पाया था। घटना के दौरान बालक की मां, बहन एवं अन्य परिवारजन मौके पर थे, इसलिए बच्चे की जान बच गई थी।

वनविभाग के पिंजरे में नहीं फंसा तेंदुआ

आदमखोर हो चुके तेंदुए को पकड़ने के लिए वनविभाग ने 30 दिसंबर को जंगल में बकरे बांधकर दो पिंजरे भी लगाए थे। एक पिंजरा आरा व दूसरा ककरेड़ी के जंगल में लगाया गया था। 72 घंटे तक पिंजरां में बकरे बंधे रहे, लेकिन तेंदुआ उसमें नहीं फंसा। इससे वनविभाग की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 

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