
SUV को लेकर भारतीयों का ‘प्रेम’ बढ़ता जा रहा है और वाहन विनिर्माता भी इसे समझ रहे हैं, इसीलिए, अपने SUV पोर्टफोलियो को मजबूत करने में लगे हुए है. बीते पांच सालों में 36 एसयूवी मॉडल भारतीय बाजार में उतारे गए हैं. भारत ऐसा कार बाजार रहा है, जहां हैचबैक की बिक्री सबसे ज्यादा होती रही है लेकिन अब शुरुआती स्तर की और मध्यम आकार की एसयूवी कारें तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. इसी वजह से इस श्रेणी के नए-नए मॉडल बाजार में उतारे जा रहे हैं. मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (बिक्री एवं विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘बीते कुछ सालों में एसयूवी श्रेणी में उल्लेखनीय तेजी देखी गई है. उद्योग में एसयूवी श्रेणी का योगदान करीब 19 प्रतिशत होता था, जो 2021-22 में बढ़कर 40 फीसदी हो गया. यह अभी बढ़ता ही जा रहा है.’’
वहीं, किआ इंडिया के मुख्य बिक्री अधिकारी म्युंग-सिक सोन ने कहा कि भारतीयों में लगातार एसयूवी की मांग बढ़ रही है. इससे पता चलता है कि आज भारतीय ‘बोल्ड’ और ‘स्टाइलिश’ वाहन चाहते हैं.’’ उन्होंने कहा, “हमने कैरेंस को इस साल उतारा है. पांच माह से भी कम समय में हम इसकी 30,000 से ज्यादा यूनिट बेच चुके हैं.” हालांकि, आपको बता दें कि कैरेंस को एसयूवी में नहीं बल्कि एमपीवी श्रेणी में माना जाता है. बता दें कि मांग बढ़ने के साथ शुरुआती स्तर की एसयूवी श्रेणी की पिछले वित्त वर्ष में घरेलू यात्री वाहन बाजार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रही और इसने 2011 से बाजार पर राज करने वाली प्रीमियम हैचबैक को पीछे छोड़ दिया
पिछले साल 30.68 लाख यूनिट्स कारों की बिक्री में से 6.52 लाख यूनिट शुरुआती स्तर की एसयूवी की थी. इतना ही नहीं, पिछले पांच सालों में यात्री वाहन श्रेणी में उतारे गए सर्वाधिक मॉडल कॉम्पैक्ट और मध्यम स्तर की एसयूवी के थे. एसयूवी का ‘क्रेज’ इतना ज्यादा हो रहा है कि कुछ सबसे ज्यादा लोकप्रिय मॉडल पाने के लिए लोगों को दो साल तक का इंतजार करना पड़ रहा है, बल्कि इसके बाद भी कार निर्माताओं को ऑर्डर मिलते जा रहे हैं.