फैशन वर्ल्ड में तेजी से बढ़ रहा है Gel Nail Polish का क्रेज
खूबसूरत दिखने के लिए लोग इन दिनों कई तरह के उपाय अपनाते हैं। सिर के बाल से लेकर पैर के नाखून तक, इन दिनों सभी का ख्याल रखा जाता है। आजकल लोग त्वचा के साथ-साथ नाखूनों की देखभाल करने लगे हैं और इसी के चलते इन दिनों मैनीक्योर- पैडीक्योर का चलन काफी बढ़ गया है। हाथों के नाखूनों को दी जाने वाली ट्रीटमेंट को मैनीक्योर कहा जाता है, जिसमें नाखून को अच्छे से साफ कर के, फाइल कर के नेल पेंट लगा देते हैं।
हालांकि, नाखूनों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए आजकल सुविधाएं मैनीक्योर तक ही सीमित नहीं हैं। लोग अब नेल एक्सटेंशन, नेल आर्ट और जेल मैनीक्योर जैसे नए फैशन ट्रेंड को भी तेजी से फॉलो करने लगे हैं। यही कारण है कि आजकल सिर्फ नाखून की सभी सुविधाएं देने के लिए नेल एक्सपर्ट अपना खुद का नेल सेलोन खोल रहे हैं। इसमें नाखूनों की देखभाल से जुड़ी सभी सुविधाएं दी जाती है। जेल नेल इन्हीं में से एक है, जिसे लोग आमतौर पर लंबे समय तक नेल पॉलिश और नाखून के अच्छे शेप को टिकाए रखने के लिए अपना रहे हैं।
क्या है जेल नेल?
जेल नेल में नेल पेंट को यूवी लैंप से क्योर कर के सुखा कर हार्ड किया जाता है। क्यूरिंग का मतलब है कि लिक्विड पेंट यूवी लाइट से एनर्जी ले कर ऐसे केमिकल रिएक्शन करता है, जिससे लिक्विड हार्ड हो जाता है। जेल नेल में दो अलग तरह के जेल का इस्तेमाल किया जाता है, पहला सॉफ्ट जेल और दूसरा हार्ड जेल। सॉफ्ट जेल असल में सॉफ्ट नहीं होता है, बल्कि ये नेचुरल नाखून से आसानी से जेल कर जाता है और इसे एसिटोन में सोखा कर घर में ही निकाला जा सकता है। यह 2 से 3 हफ्ते तक टिकता है। यह नाखून पर दबाव नहीं डालता है।
वहीं, हार्ड जेल नेल को एसिटोन में सोखा कर निकाला नहीं जा सकता है। हार्ड जेल नेल वजन में हल्के होते हैं, ये लंबे समय तक टिकते हैं और इसे लंबे या किसी भी शेप के नेल एक्सटेंशन किया जा सकते हैं। यह एक प्रोफेशनल ही लगा सकते हैं और इसे निकालने के लिए भी प्रोफेशनल की ही मदद लेनी पड़ती है। इसे नाखून पर परफेक्ट तरीके से शेप देने के बाद 30 से 120 सेकेंड तक यूवी या एलईडी लाइट में हार्ड किया जाता है।
जेल नेल सही या गलत?
जैसे-जैसे जेल नेल का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इससे जुड़ी कई ऐसी खबरें सामने आने लगी हैं, जिससे सभी के मन में एक दुविधा पैदा हो गई कि ये जेल नेल वाकई अच्छे हैं या नहीं। उनसे होने वाले नुकसान के कई तर्क लोगों को कंफ्यूज करने लगे कि अब वे जेल नेल का इस्तेमाल करें या न करें। ऐसे में इस बारे में एक स्टडी में सही जानकारी का पता चला। आइए जानते हैं क्या कहती है स्टडी-
जेल नेल में नेल को क्योर करने के दौरान यूवी लैंप से निकलने वाली रेडिएशन इंसान की सेल्स में कैंसर पैदा करने वाले म्यूटेशन को न्योता देती है। यूवी किरणों से वैसे भी सेल डैमेज और एजिंग का खतरा हमेशा से बना रहता है, जिसके कारण लोग सनस्क्रीन लगाते हैं। ऐसे में जेल नेल से होने वाले एलर्जिक रिएक्शन को भी डर्मेटोलॉजिस्ट गंभीरता से ले रहे हैं। एलर्जिक रिएक्शन में रैश, नाखून टूटना, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं।
जेल नेल पॉलिश में मौजूद मेथएक्रीलेट केमिकल जो कि फॉर्मूला को नाखून से जोड़ने का काम करते हैं, इससे डर्मेटाइटिस और अर्टीकेरिया जैसे एलर्जिक रिएक्शन देखने को मिले हैं। जेल नेल को निकालने की प्रक्रिया भी बड़ी मुश्किल और नुकसानदायक होती है। इस दौरान एसिटोन में नाखून को डुबो कर, दबाव डाल कर बफिंग, स्क्रेपिंग, पीलिंग की प्रक्रिया से गुजारा जाता है, जिससे नाखून के नेल बेड कमजोर हो जाते हैं और आसानी से टूटने लगते हैं। खुद से इसे निकालने की कोशिश न करें क्योंकि सही तरीके से नहीं निकाला गया तो ये असल नाखून को हमेशा के लिए नुकसान पहुंचा सकते हैं या फिर इन्हें ठीक होने में महीनों लग सकते हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
हालांकि, अभी जेल नेल के नुकसान पर और भी शोध बाकी हैं, लेकिन यूवी किरणों से होने वाले नुकसान को समझते हुए हमें जेल नेल का इस्तेमाल एक सीमा में करना चाहिए। साथ ही निम्न बातों का ध्यान इसके खतरों को कम किया जा सकता है-
प्रक्रिया शुरू होने से पहले SPF 30 सनस्क्रीन जरूर लगाएं।
प्रक्रिया खत्म होने के बाद क्यूटिकल ऑयल का इस्तेमाल जरूर करें।
हर दो से तीन हफ्ते में करवाने की जगह किसी खास मौके पर कराएं या फिर दो जेल नेल लगवाने के बीच में कुछ समय का ब्रेक दें।
जेल नेल से कैंसर का खतरा कम है या ज्यादा इस पर गौर करने से अधिक जरूरी है कि इस बात को समझा जाए कि जेल नेल के इस्तेमाल से कैंसर का खतरा हमेशा बना रहता है। इसलिए नेल एक्सटेंशन के अन्य विकल्प पर भी ध्यान देना जरूरी है, जिनसे नेल बेड को कम खतरा हो और आपके नाखून के असली क्यूटिकल स्वस्थ तरीके से हमेशा बने रहें।