डॉक्टरों का योगदान बहुमूल्य: गरीबों को शिक्षा से दिखा रहे नई राह

सफेद गाउन में डॉक्टर अक्सर मरीज का इलाज करते दिखाई पड़ते हैं, लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो अस्पताल में रोगी का इलाज करने के साथ-साथ समाज में बदलाव के प्रयास कर रहे हैं। ये ड्यूटी के साथ गरीब बच्चों को पढ़ाने, उनके लिए सुविधाओं को विकसित करने, कैंसर से बचाने के लिए प्रेरित करने का काम कर रहे हैं। सालों से चल रहे प्रयास के कारण समाज में बदलाव भी आने लगा है। दूसरे डॉक्टर व अन्य लोग भी इनसे प्रेरणा लेकर साथ हो रहे हैं।

गरीबों को शिक्षा से दिखा रहे नई राह
कभी माता-पिता के साथ बिंदी बनाने का काम किया करते थे। अब कॅरिअर की नई राह परिवार की गरीबी दूर करने का इंतजार कर रही है। नंद नगरी के जेजे क्लस्टर बस्ती में रहने वाले इन गरीब बच्चों के लिए स्वामी दयानंद अस्पताल के डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अजय कुमार आशा की किरण बनकर सामने आए।

करीब दस साल पहले डॉ. कुमार ने अपनी ड्यूटी के साथ खाली समय में गरीब बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की। शुरुआती दौर में तीसरी चौथी के बच्चे उनके पढ़ने आए। डॉ. कुमार इन्हें पढ़ाने के साथ दूसरी जरूरी मदद भी उपलब्ध करवाते थे। इस दौरान बच्चों को पढ़ने में ऐसा मजा आया कि वह आज भी उनके साथ जुड़े हुए हैं। लंबे संघर्ष के बाद ये बच्चे कॅरिअर की नई राह चुन रहे हैं। इस दौरान भी डॉ. कुमार आर्थिक रूप से इनकी मदद कर रहे हैं।

कैंसर से दूर रहेगी महिला, तो बढ़ेगा समाज
परिवार की जिम्मेदारी संभाल रहीं महिलाओं को सेहत के साथ कैंसर से दूर रखने के लिए आर्मी रेफरल एंड रिसर्च अस्पताल में गायनी विभाग की डॉक्टर रही डॉ. गुंजन मल्होत्रा विशेष अभियान चला रही है। महिलाओं को जागरूक करने के लिए अपनी ड्यूटी से वीआरएस लेकर करोल बाग की बस्ती में महिलाओं को कैंसर, स्वच्छता सहित दूसरे के बारे में जागरूक कर रही हैं।

डॉ. मल्होत्रा बताती हैं कि कोरोना महामारी के दौरान स्तन कैंसर स्टेज तीन का पता चला था। वह दौर क्या था यह झेला है। अपनी बीमारी के दौरान का अनुभव लेकर महिलाओं को स्वस्थ रखने के साथ कैंसर से बचाव की जानकारी दे रही हैं। गरीब महिलाएं आसानी से स्वच्छता के अभाव में कैंसर की चपेट से जिंदगी खो रही हैं।

पहाड़ों पर पहुंचा दिया आधुनिक पुस्तकालय
पौड़ी गढ़वाल में पहाड़ों के बीच घिरे गांव गढ़खाल के बच्चों के पास कोई ऐसी जगह नहीं थी जो आधुनिक शिक्षा का रास्ता खोले। फिर क्या था गांव निवासी और दिल्ली स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में ब्लड बैंक के विभाग प्रमुख डॉ. डीएस चौहान ने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर इस सपने को पूरा किया।

साल 2016 में निजी खर्च पर आधुनिक पुस्तकालय तैयार करवाया। आज यह आसपास के आठ-दस गांव के सैकड़ों बच्चों के पढ़ने का मुख्य केंद्र हैं। यहां छठी से 12वीं तक के बच्चों के लिए साढ़े चार हजार से अधिक किताबें हैं। इन किताबों को नाम व पता देकर घर भी ले जा सकते हैं। इसके अलावा होल इन द वॉल लर्निंग स्टेशन भी लगाए गए हैं। इसमें संबंधित विषय पर क्लिक करने से वह स्पीकर में जानकारी मिलती है। साथ ही कंप्यूटर के साथ इंटरनेट की भी सुविधा है।

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