राजस्थान, हिमाचल या कर्नाटक..कांग्रेस को कई राज्यों में अंतर्कलह का सामना करना पड़ रहा..

कर्नाटक का सीएम कौन बनेगा? आखिरकार इस सवाल का जवाब चार दिनों के बाद मिल ही गया। आलाकमान ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपने का फैसला लिया है। वहीं सीएम पद की दावेदारी ठोकने वाले सूबे के कद्दावर नेता डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया जाएगा। कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत के बाद पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का जोश हाई है। गौरतलब है कि इस साल के अंत तक कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक फतह करने के बाद कांग्रेस अब राजस्थान और मध्य प्रदेश के लिए मेगाप्लान तैयार कर रही है। ऐसे में राजस्थान को लेकर पार्टी की टेंशन बढ़ती हुई नजर आ रही है तो वहीं मध्य प्रदेश को लेकर आलाकमान में एक खास खुशी है। आइए समझते हैं…

MP को लेकर हाई जोश
कांग्रेस ने कर्नाटक में कुल 135 सीटों पर कब्जा किया। पिछले साल हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी। हिमाचल और कर्नाटक दोनों जगह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हरा कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ है। मध्य प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। वहीं एमपी का हाल हिमाचल और कर्नाटक से अलग है। हिमाचल और कर्नाटक में जिस चुनौती का सामना कांग्रेस को करना पड़ा था उससे मध्य प्रदेश में राहत मिलती दिख रही है।

MP में एक बड़ी राहत
राजस्थान, हिमाचल या कर्नाटक… कांग्रेस को कई राज्यों में अंतर्कलह और गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। हिमाचल में चुनाव जीतने के बाद सूबे के दो दिग्गज नेता आमने-सामने थे। आलाकमान ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को सीएम बनाया। कहीं न कहीं प्रतिभा सिंह इस फैसले से नाराज दिखीं लेकिन आलाकमान ने उन्हें मना लिया। वहीं कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही देखा गया। सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों सीएम पद की दावेदारी कर रहे थे। हालांकि मध्य प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं है। एमपी में सीएम पद के सबसे बड़े उम्मीदवार कमलनाथ हैं। एमपी कांग्रेस में कमलनाथ के सबसे बड़े विरोधी ज्योतिरादित्य सिंधिया माने जाते थे। हालांकि सिंधिया अब कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कमलनाथ पूरे सूबे में रैंक की लिहाज से सबसे बड़े नेता हैं। आलाकमान को इस बात से बड़ी राहत मिल रही है क्योंकि पार्टी को मध्य प्रदेश में गुटबाजी का सामना नहीं करना पड़ेगा। ऐसे में सीएम फेस को लेकर कांग्रेस को एमपी में कोई दुविधा नहीं है। 

इस साल के अंत तक एमपी में विधानसभा चुनाव होने हैं। हिमाचल और कर्नाटक के मॉडल पर ही कांग्रेस एमपी में चुनाव प्रचार कर रही है। सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने 500 रुपए में सिलेंडर देने का वादा किया है। वहीं कमलनाथ ने यह भी ऐलान किया कि सरकार बनने के बाद 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जाएगी। वोटरों को लुभाने में कांग्रेस जुटी हुई है। राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया था कि उनकी आम आदमी पार्टी (AAP) सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि AAP की एंट्री से भाजपा-कांग्रेस दोनों के वोट कट सकते हैं।

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