कांग्रेस 40 सालों बाद इतनी सीटें जीतने में कामयाब रही…

1990 में लिंगायत नेता वीरेंद्र पाटिल कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। 3 अक्टूबर, 1990 को कर्नाटक के दावणगेरे में हिन्दुओं की एक शोभायात्रा निकाले जाने के बाद इलाके में दंगे भड़क उठे थे। इस शोभा यात्रा के दौरान एक मुस्लिम लड़की को छेड़े जाने के विवाद ने बड़ा रूप ले लिया था। तब दोनों समुदायों में काफी खून-खराबा हुआ था। 

कांग्रेस से क्यों खफा हो गए थे लिंगायत?
चूंकि, उस वक्त मुख्यमंत्री पाटिल को हार्ट अटैक आया था और वह आराम कर रहे थे। इसलिए उन पर दंगों को कंट्रोल करने में विफल रहने का आरोप लगा। जब  राजीव गांधी बतौर कांग्रेस अध्यक्ष डैमेज कंट्रोल वहां पहुंचे तो उन्होंने हवाई अड्डे से ही मुख्यमंत्री वीरेंद्र पाटिल को हटाने का फरमान सुना दिया था। इससे लिंगायतों में कांग्रेस के खिलाफ रोष उत्पन्न हो गया और धीरे-धीरे लिंगायत मतदाता कांग्रेस से दूर हो गए, जबकि लिंगायत कांग्रेस के परंपरागत वोटर थे।

राहुल ने सुधारी भूल:
33 साल बाद राहुल गांधी ने उस भूल को सुधारते हुए लिंगायतों को अपने पाले में करने के लिए काफी मशक्कत की और नतीजा कांग्रेस के पक्ष में रहा। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता रहे जगदीश शेट्टार और पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी से लेकर कई लिंगायत नेताओं को पार्टी में शामिल किया और लिंगायतों की लंबी मांग कि अलग धर्म का दर्जा दिया जाय, उस पर भी हामी भरी।

Back to top button