मुंबई के आर्थर रोड जेल से एक हैरान कर देने वाला आया मामला सामने…

कुख्यात गुंडे, शार्पशूटर्स, कई फिल्मस्टार, अंडरवर्ल्ड डॉन, राजनेताओं जैसे कई मशहूर लोगों ने मुंबई आर्थर रोड जेल के की हवा खाई है। इन हाईप्रोफाइल कैदियों की वजह से ही यह जेल काफी लाइमलाइट में रहा है। इस समय यह फिर से चर्चा में है, क्योंकि यहां बंद कैदियों के साथ बदसलूकी बढ़ती जा रही है। एक महीने के अंदर ही इस जेल में ऐसे कई मामले देखने को मिले, जो काफी चौंका देने वाले है।

24 साल के कैदी के साथ यौन शोषण

पॉक्सो मामले में कैद 24 साल के युवक के साथ दो कैदियों ने यौन शोषण किया। पहले उसे शौचालय के अंदर बुरी तरह पीटा और फिर बारी-बारी से उसका यौन शोषण किया। पीड़ित के पिता ने इस मामले की शिकायत की है। वहीं, कथित पीड़ित के वकील का कहना है कि शिकायत दर्ज होने के बाद भी न तो जेल अधिकारियों और न ही स्थानीय एनएम जोशी मार्ग पुलिस ने कोई कार्रवाई की है। पीड़ित को 17 अप्रैल को भांडुप पुलिस ने एक दुष्कर्म मामले में गिरफ्तार किया था। पिता का कहना है कि उसके बेटे को झूठे मामले में फंसाया गया है और कैद किया गया है।

जेल अधिकारी की नजर में यह घिनौना काम कैसे हुआ?

कथित यौन उत्पीड़न 10 जून की सुबह के समय हुआ और आरोपी कैदियों की पहचान राशिद हसन फरास और कुडी के रूप में हुई है। पिता ने कहा कि उनके बेटे के वकील साकिब कोटवाला ने उनसे मुलाकात के बाद उन्हें मारपीट की जानकारी दी थी।

जागरण के सहयोगी प्रकाशन मिड-डे से बात करते हुए पीड़ित के पिता ने कहा, ‘मैं एक गरीब आदमी हूं और मेरे पास अपने बेटे का केस लड़ने की ताकत नहीं है। अब, उसकी सुरक्षा दांव पर है क्योंकि जेल अधिकारी उसकी सुरक्षा करने में विफल रहे। उनकी नजर में यह घिनौना काम कैसे हुआ? मुझे बताया गया है कि वे [आरोपी कैदी] जेल अधीक्षक के बहुत करीबी हैं, इसलिए कोई मामला दर्ज नहीं किया जा रहा है।’

जेल कर्मचारियों के दाहिने हाथ होते हैं ‘जवाबदार’

एनडीपीएस मामले के संबंध में चार साल से अधिक समय से जेल में बंद राशिद हसन फरास बैरक नंबर 6 का जवाबदार है। जेल के एक सूत्र ने बताया कि वह वहां का सबसे पुराना कैदी है। यहीं, कारण है कि उसे बैरक में कोई छूने की हिम्मत नहीं कर सकता है। मिड-डे ने पहले सूत्रों के हवाले से बताया था कि कैसे ‘जवाबदार’ जेल कर्मचारियों के दाहिने हाथ होते हैं।

पिता की मदद की गुहार

पीड़ित युवक के पिता ने कहा कि अगर जेल कर्मचारी उसके बेटे को सुरक्षित रखने में नाकामयाब हैं, तो उन्हें उसे तुरंत आजाद कर देना चाहिए। वह तत्काल चिकित्सा उपचार का हकदार है। महाराष्ट्र सरकार को मेरे बेटे की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और आरोपी और जेल स्टाफ के सदस्यों दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। सभी संवेदनशील मामले को दबा रहे हैं।

कोई एफआईआर नहीं हुई दर्ज

पीड़ित के वकली कोटवाला ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि पीड़ित के साथ बदसलूकी 10 जून की सुबह हुई, जब सभी सो रहे थे। फरास और कुडी ने पीड़ित से पहले मारपीट की और फिर उसका मुंह बंद कर दिया। इसके बाद उसके साथ दुराचार किया और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर उसे अप्राकृतिक कृत्य करने के लिए मजबूर किया।घटना शौचालय के अंदर हुई। पीड़ित ने इसकी शिकायत सर्कल के प्रभारी पीएसआई विजय कुमार कस्बे से की लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।

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