दो साल में तीन गुना हुआ क्विक कॉमर्स का कारोबार
2022 में क्विक कॉमर्स का कारोबार भारत में दो अरब डॉलर का था जो वर्ष 2024 में 6.1 अरब डॉलर का हो गया। वर्ष 2030 तक क्विक कॉमर्स का कारोबार 40 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यही वजह है कि क्विक कामर्स के कारोबार में अब ई-कामर्स के बड़े खिलाड़ी अमेजन और फ्लिपकार्ट भी हाथ आजमाने जा रहे हैं।
बड़े शहरों में अब 10-30 मिनट में सिर्फ सब्जी-दूध ही नहीं, कपड़े से लेकर मेकअप और यहां तक कि आईफोन भी डिलीवर हो रहे हैं। सिर्फ आधे घंटे में डिलीवरी की वजह से इसे क्विक कॉमर्स का नाम दिया गया है। 18-35 साल के युवाओं को यह सुविधा ज्यादा ही भा रही है जिससे क्विक कॉमर्स का कारोबार पिछले दो साल में तीन गुना बढ़ गया है।
डॉटम रिसर्च के मुताबिक वर्ष 2022 में क्विक कॉमर्स का कारोबार भारत में दो अरब डॉलर का था जो वर्ष 2024 में 6.1 अरब डॉलर का हो गया। वर्ष 2030 तक क्विक कॉमर्स का कारोबार 40 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यही वजह है कि क्विक कॉमर्स के कारोबार में अब ई-कॉमर्स के बड़े खिलाड़ी अमेजन और फ्लिपकार्ट भी हाथ आजमाने जा रहे हैं।
क्विक कॉमर्स से किराना व्यापारी प्रभावित
मुख्य रूप से अपैरल और फैशन के सामान की बिक्री करने वाले प्लेटफार्म मिंत्रा ने हाल ही में अपना क्विक कॉमर्स शुरू किया है जो 10-30 मिनट के भीतर कपड़े और फैशन के सामान उपलब्ध करा देगा। हालांकि क्विक कॉमर्स के बढ़ने से छोटे किराना व्यापारियों का कारोबार प्रभावित होना शुरू हो गया है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) से लेकर फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया क्विक कॉमर्स के बढ़ते दायरे को लेकर आवाज उठाने लगे हैं।
विभिन्न रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में क्विक कॉमर्स के यूजर्स की संख्या 54 लाख थी जो इस साल बढ़कर 2.6 करोड़ हो गई है। वर्ष 2060 तक क्विक कॉमर्स के यूजर्स की संख्या छह करोड़ पार करने की उम्मीद है। क्विक कॉमर्स में जेप्टो, जोमैटो, ब्लिंकिट, स्विगी जैसी कंपनियां तेजी से आगे आ रही है।
तेजी से बढ़ रहा ब्लिंकिट
चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में ब्लिंकिट के कारोबार में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 122 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। डॉटम की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक क्विक कॉमर्स प्लेटफार्म पर खरीदारी करने वाले 69 प्रतिशत ग्राहक 10 मिनट में अपने सामान की डिलीवरी चाहते हैं। 31 प्रतिशत ग्राहकों को डिलिवरी की जल्दी नहीं होती है। मुंबई व बेंगलुरू में क्विक कॉमर्स का चलन अन्य मेट्रो शहर से अधिक है।
जानकारों का कहना है कि क्विक कॉमर्स जल्दी में रहने वाले युवाओं को किसी चीज की कमी नहीं खलने देती है। वे अधिकतम आधे घंटे में अपनी पसंद की चीज मंगवा सकते हैं। हालांकि क्विक कॉमर्स की डिलीवरी महंगी होती है, लेकिन इससे युवा वर्ग को फर्क नहीं पड़ रहा है, तभी ऑर्डर की संख्या लगातार बढ़ रही है।