शैडो मैन के सहारे परवान चढ़ा किडनी का काला कारोबार, नामचीन अस्पतालों तक फैला है इनका जाल

दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में किडनी का काला कारोबार शैडो मैन के सहारे परवान पर चढ़ा है। किडनी की मांग और आपूर्ति में अंतर ने कारोबार में उछाल लाने का काम किया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि हर साल मांग के मुकाबले तीन फीसदी ही किडनी मिल पाती है। बाकी को इंतजार करना पड़ता है। इससे बड़ी संख्या में मरीज एक तरह के बिचौलिये का काम करने वाले शैडो मैन के चक्कर में फंस जाते हैं। इनका जाल जांच केंद्रों से लेकर देश के नामचीन अस्पतालों तक फैला है। ये आसानी से ऐसे लोगों की पहचान करते हैं, जो किसी लालच, मजबूरी या दूसरे वजहों से अंगदान करने के लिए तैयार होते हैं।

सूत्रों के अनुसार खराब जीवन शैली, रोग सहित दूसरे कारणों से हर साल दो लाख से अधिक किडनी के गंभीर रोगी सामने आते हैं। हालत खराब होने के बाद इन्हें किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया जाता हैं। इन मरीजों की डायलिसिस चल रही होती है। लेकिन, सुविधाओं के अभाव में केवल आठ से 10 फीसदी को ही डायलिसिस की सुविधा मिल पाती है।

किडनी रोग के उपचार से जुड़े जानकर बताते हैं कि एक अनुमान है कि हर साल देश में 2 लाख 20 हजार किडनी ट्रांसप्लांट की कॉल होती है। इन मरीजों को अपने परिवार या जानकर से किडनी लाने को बोला जाता है, लेकिन सात से 11 हजार लोग ही किडनी की व्यवस्था कर पाते हैं। इनमें से 90 फीसदी को उनके परिजन या जानकर से किडनी मिलती हैं, जबकि 10 फीसदी लोगों को देश भर के अस्पतालों में होने वाले अंगदान से प्राप्त किडनी मिलती है।

मरीजों के लिए पर्याप्त किडनी न मिल पाने के कारण शैडो मैन का व्यापार तेजी से पैर पसार रहा हैं। इन्हें मांग की जानकारी मिलते ही ये एक माह के अंदर किडनी की तलाश कर देते हैं। किडनी मिलने के बाद संबंधित अस्पताल में संपर्क कर उन्हें किडनी देने की पेशकश तक कर देते हैं। इन्हें जांच केंद्र से लेकर अस्पताल के प्रशासन तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मदद मिल जाती हैं।

50 लाख तक आता है खर्च
सूत्रों का कहना है कि मरीज की हालत, उसकी जरूरत और उसके माली हालात के हिसाब किडनी कारोबार में लेन-देन की कीमत तय होती है। कई मामलों में यह मरीज 50 लाख रुपये तक ले लेते हैं। हालांकि, औसत कीमत 2.50 लाख से पांच लाख के बीच बैठती है।

किडनी ट्रांसप्लांट से पहले होती है जांच
किसी भी मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट करने के लिए लेने से पहले ब्लड की जांच होती है। साथ ही देखा जाता हैं की किडनी लगाने के बाद रियूज तो नहीं हो जायेगी। ऐसे में शैडो मैन करीब चार से पांच लोगों को तैयार करता है।

होती है डीएनए की जांच
डॉक्टरों की मानें तो नियम के तहत परिवार का सदस्य ही किडनी दान कर सकता हैं। परिवार से किडनी लेने से पहले डीएनए की जांच होती है। डीएनए मैच होने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाती है। वही परिवार के बाहर से किडनी लेने से पहले उक्त व्यक्ति से 10 से 12 साल का संबंध बताना पड़ता हैं। इसमें एक कमेटी ट्रांसप्लांट से पहले पूरे मामले की जांच करती है।

नोटो के तहत 1995 से 2021 तक अंगदान
राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के अनुसार देश में 1995 से 2021 से तक 36640 अंग ट्रांसप्लांट हुआ। इसमें दिल, लिवर और किडनी शामिल हैं। इनमें से जिंदा लोगों से 34094 और शव से 2546 अंग प्राप्त हुए। जिंदा लोगों से प्राप्त हुए अंगो में से परिवार के सदस्यों से 26565 और परिवार के बाहर से 7529 अंग प्राप्त हुए। अंग प्राप्त करने वाले में पुरुष सबसे ज्यादा हैं। पुरुष को 29695 अंग मिले, जबकि महिला को 6945 अंग प्राप्त हुए।

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