Gold में आई सबसे बड़ी गिरावट से लोगों को हुआ नुकसान
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी (custom duty) घटाने के ऐलान के साथ ही, सोने की कीमतों में पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। इससे देश के आम लोगों की बचत की वैल्यू में करीब 11 लाख करोड़ रुपए की गिरावट आई है। अगर इसकी तुलना शेयर बाजार से करें, तो यह स्टॉक मार्केट के इतिहास में एक दिन में आई अबतक की छठी सबसे बड़ी गिरावट है। इस गिरावट का सीधा असर देश के लाखों परिवारों पर पड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सोना रखने वाले परिवारों की संख्या शेयर बाजार में निवेश करने वालों की तुलना में कहीं ज्यादा है।
भारत में लोग खासकर के मिडिल क्लास परिवार शेयर बाजार से ज्यादा सोने में निवेश करते हैं। देश की मां और बहनों के पास हाउसहोल्ड सेविंग के नाम भारत में कुल इतना सोने का भंडार मौजूद है, जितना भारतीय रिजर्व बैंक के पास भी नहीं है। भारतीय परिवारों के पास दुनिया का सबसे बड़ा सोने का भंडार है। एक आंकड़े के मुताबिक, दुनिया के कुल सोने का लगभग 11 प्रतिशत भारतीय परिवारों के पास है। यह अमेरिका, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और IMF के कुल गोल्ड रिजर्व से भी अधिक है।
सोने की कीमतें क्यों गिरीं?
इस साल की शुरुआत से ही सोने की कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं। बजट से एक दिन पहले तक सोने की कीमतों में इस साल 14.7 फीसदी की तेजी आई थी जो सेंसेक्स के रिटर्न से भी ज्यादा थी लेकिन बजट में वित्त मंत्री ने सोने-चांदी पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 10 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया। साथ ही इस पर लगने वाले एग्रीकल्चर सेस को 5 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया। इससे कुल मिलाकर सोने पर लगने वाले शुल्क अब पहले के 18.5 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत हो गया है, जिसमें GST भी शामिल है।
बजट से पहले और बाद में सोने का भाव
बजट पेश होने से ठीक एक दिन पहले सोने के दाम देश में सोने के दाम 75,200 रुपए प्रति 10 ग्राम पर थे जबकि बजट पेश होने के बाद 23 जुलाई को इसकी कीमत 71,200 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई। अगर इसकी तुलना शेयर मार्केट से की जाए, तो एक ही दिन में सोने की कीमतों में गिरावट से इंवेस्टर्स को 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।
कीमतों में गिरावट का असर
सोने के दाम गिरने से सर्राफा व्यापारी खुश नहीं थे। उन्होंने अपने पास रखी सोने की होल्डिंग्स को बेचकर मुनाफा बुक करना शुरू कर दिया। इससे सोने के दाम में और गिरावट आई। गोल्ड लोन बांटने वाली कंपनियां भी इससे खुश नहीं थीं, क्योंकि इससे उनके लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेशियो में कमी आने की आशंका है, जो उन्हें वित्तीय रूप से कमजोर कर सकती है।
ऐसे समझें
मान लेते हैं कि भारतीय परिवारों और मंदिरों में कुल मिलाकर 30,000 टन से अधिक सोना है। अब 22 जुलाई को इसके भाव के हिसाब से उस दिन इस सोने की कुल कीमत 218 लाख करोड़ रुपए बनती है। जबकि 23 जुलाई को भाव गिरने के बाद इतने सोने की कीमत 207 लाख करोड़ रुपए रह गई। ये सीधे-सीधे सोने की वैल्यू में 10 लाख करोड़ रुपए के नुकसान को दिखाता है।
हालांकि बड़ी ज्वैलरी कंपनियों को इस कदम से लाभ हो सकता है। ट्रेडर्स लंबे समय से गोल्ड कस्टम ड्यूटी घटाने की मांग कर रहे थे और उनका कहना था कि इससे गोल्ड की तस्करी रुकेगी। सरकार के लिए भी गोल्ड की तस्करी में कमी आना एक अच्छी खबर है क्योंकि उसके रेवेन्यू का नुकसान कम होगा।
सोने की कीमतें कब बढ़ेंगी?
रिलायंस सिक्योरिटीज के सीनियर कमोडिटी एनालिस्ट, जिगर त्रिवेदी ने बताया कि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी, फेस्टिव सीजन के दौरान मांग, भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और केंद्रीय बैंक की नीतियों जैसे कुछ ऐसे कारण हैं, जो गोल्ड के दाम को फिर से बढ़ा सकते हैं। ऐसे में निवेशकों को इन पर नजर रखना चाहिए।