भारत-रूस के रिश्तों के बीच अगले 10 वर्षों के सैन्य सहयोग का एजेंडा हुआ तैयार,दोनों देशों के बीच फिर आई गर्माहट

बदलते भू-राजनीतिक माहौल की वजह से भारत और रूस के रिश्तों की गर्माहट कम होने के कयासों को दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने एक झटके में गलत साबित कर दिया है। नई दिल्ली में पहले दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की अलग-अलग बैठक हुई, उसके बाद इन चारों की टू प्लस टू व्यवस्था के तहत पहली संयुक्त बैठक हुई। कुछ ही घंटे की यात्रा पर भारत आए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत-रूस शिखर बैठक की अगुआई की। दिनभर चली इन बैठकों के दौरान दोनों देशों के रिश्तों में पुराने दिनों की गर्माहट दिखाई दी और द्विपक्षीय रक्षा संबंधों, अफगानिस्तान, आतंकवाद, एशिया प्रशांत और कोरोना महामारी की चुनौतियों से लेकर अंतरिक्ष व विज्ञान क्षेत्र में नए सहयोग के मुद्दे पर बातचीत हुई।

अमेरिका के साथ भारत की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी और चीन के साथ रूस के लगातार मजबूत होते सामंजस्य के बीच मोदी और पुतिन ने इस शिखर बैठक के जरिये वैश्विक स्तर पर एक मजबूत राजनीतिक संकेत भी दिया है। संकेत है कि बदलते वैश्विक माहौल के मुताबिक भारत और रूस के रिश्तों को भी प्रासंगिक बनाया जाएगा। साथ ही दोनों देश विश्व में पुनर्संतुलन बनाने की हो रही कोशिशों में अहम भूमिका निभाएंगे। यही वजह है कि रूस में कोरोना के बढ़ते मामलों और यूक्रेन की तरफ से उपज रही कूटनीतिक चुनौती के बावजूद राष्ट्रपति पुतिन भारत पहुंचे, भले ही कुछ घंटों के लिए ही सही। उनका काफिला एयरपोर्ट से सीधे हैदराबाद हाउस पहुंचा जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी अगवानी की। दोनों की मुलाकात में जबर्दस्त गर्मजोशी दिखी। दोनों ने एक दूसरे को गले भी लगाया।

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मोदी ने कहा, पुतिन रिश्तों में प्रगति के सूत्रधार

शिखर वार्ता में शुरुआती भाषण देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन की यात्रा को भारत-रूस रिश्तों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया। मोदी ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में हमारे विशेष रणनीतिक रिश्तों में जो उन्नति और प्रगति हुई है उसके मुख्य सूत्रधार आप ही हैं। दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ न सिर्फ सहयोग किया है, बल्कि एक दूसरे की संवेदनाओं का ध्यान भी रखा है। यह बहुत ही अलग विश्वस्त माडल है।

पुतिन ने भारत को बताया बड़ी शक्ति

राष्ट्रपति पुतिन ने अपने शुरुआती भाषण में एक बार फिर नई दिल्ली की यात्रा करने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंच और एजेंडे पर रूस भारत का सहयोग करता रहेगा। अधिकांश अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों की विचारधारा समान है। दोनों के लिए आतंकवाद, मादक पदार्थो का कारोबार और संगठित कारोबार चिंता का कारण हैं। अफगानिस्तान को लेकर भी हमारी समान चिंताएं हैं। हम भारत को एक बड़ी शक्ति और विश्वसनीय मित्र मानते हैं। दोनों नेताओं ने हाल के समय में अपने अपने देश के समक्ष पैदा हुईं चुनौतियों का जिक्र किया, हालांकि इसमें किसी देश का नाम नहीं लिया गया।

एक-दूसरे को चुभने वाली बातों पर हुई वार्ता

मोदी-पुतिन शिखर वार्ता से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की रूस के रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगू और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ टू प्लस टू व्यवस्था के तहत पहली बातचीत हुई। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की अगुआई में सैन्य तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की भी बैठक हुई। द्विपक्षीय बैठकों में उन मुद्दों को भी उठाया गया जो एक-दूसरे को चुभ रही थीं। जैसे रूस की तरफ से एशिया प्रशांत में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बीच बने गठबंधन और आस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी देने की अमेरिका व ब्रिटेन की योजना का मुद्दा उठाया गया। भारत और रूस की अफगानिस्तान के मुद्दे पर जिस तरह एक जैसा सोच दिखा उसका असर आने वाले समय में दिख सकता है।

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