यूपी के 22 सहकारी बैंक आयकर विभाग के रडार पर आए, पढ़ें पूरी खबर ..

करदाता के स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन (एसएफटी) की सूचना न देना सहकारी बैंकों को भारी पड़ सकता है। बार-बार नोटिस के बावजूद जानकारी न देने वाले यूपी के 22 सहकारी बैंक आयकर विभाग के रडार पर आ गए हैं। मई के बाद सभी के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो जाएगी। आयकर विभाग सहकारी बैंकों से एसएफटी संबंधी जानकारी मांगता है। इसका सीधा संबंध ऐसे करदाताओं से होता है, जिन्होंने किसी सहकारी बैंक में पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान तय राशि से अधिक की जमा और निकासी की है।

आयकर अफसरों के मुताबिक बचत खाते में पूरे वित्तीय वर्ष में अगर 10 लाख व चालू खाते में 50 लाख का लेन-देन करने वाले करदाता की जानकारी सहकारी बैंक को अनिवार्य रूप से देनी होती है। आयकर विभाग ने कई बार नोटिस दिए पर सहकारी बैंक एसएफटी संबंधी सूचना नहीं दे रहे हैं।

कानपुर के सहकारी बैंक भी लापरवाह
आयकर विभाग के अनुसार एसएफटी के प्रति लापरवाही में कानपुर भी पीछे नहीं है। शहर के पांच सहकारी बैंकों पर विभाग की नजर में हैं। अलीगढ़, आगरा, मेरठ, नोएडा, सहारनपुर, गाजियाबाद, बिजनौर, मुजफ्फरनगर के सहकारी बैंक भी रडार पर हैं। बांदा, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, झांसी, उरई, इटावा के सहकारी बैंकों को भी नोटिस दिया गया है। स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के प्रति लापरवाही बरतने पर बांदा के सहकारी बैंक के खिलाफ आयकर विभाग ने फरवरी में कार्रवाई की थी।

दो लाख से अधिक पर भी बताना जरूरी 
आयकर विभाग के नियमों के अनुसार सब रजिस्टार, होटल या ऐसी किसी भी संस्था जिसके अंतर्गत किसी करदाता ने वित्तीय वर्ष के दौरान दो लाख से अधिक नकद खर्च सेवा या वस्तु में किया है तो उसकी भी जानकारी देना जरूरी है।

31 मई तक देनी है सारी जानकारी 
आयकर अधिकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 की स्टेटमेंट ऑफ फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जानकारी हर हाल में 31 मई तक सहकारी बैंक, सब रजिस्टार व अन्य संस्थाओं को देनी है।

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