18 साल का हुआ iPhone, 9 महीने में तैयार हुई डिजाइन को जॉब्स ने किया था रिजेक्ट

पहले iPhone को साल 2007 में 9 जनवरी को लॉन्च किया गया था। इस फोन की लॉन्चिंग से जुड़ी कई रोचक कहानियां हैं। पहला iPhone एक क्रांतिकारी मॉडल था। जहां टचस्क्रीन से लेकर इंटरनेट एक्सेस तक बहुत कुछ दिया गया था। इसमें iPod वाली खूबी भी थी। ये अपने समय से स्मार्टफोन्स से 5 साल आगे था। आइए जानते हैं इस फोन से जुड़े किस्से।

आज से 1 दिन पहले यानी 9 जनवरी 2007 में पहला iPhone लॉन्च हुआ था। ये एक टचस्क्रीन वाला स्मार्टफोन था, जिसमें कैमरा और वेब ब्राउजिंग जैसी हाइटेक फीचर्स थे। ये फोन उस समय 2G नेटवर्क पर काम करता था। स्टीव जॉब्स ने इसकी लॉन्चिंग के इवेंट के दौरान iPhone को एक क्रांतिकारी और जादुई प्रोडक्ट कहा था, जो उस समय के अन्य स्मार्टफोन से पांच साल आगे था।

ऐसा था पहला iPhone
iPhone 1 में 3.5-इंच स्क्रीन, एक 2-मेगापिक्सल कैमरा और, पहली बार, कोई फिजिकल कीबोर्ड नहीं था। इसने एक फोन, एक iPod और एक इंटरनेट कम्युनिकेटर को कम्बाइन किया था। इसके अलावा पहले आईफोन में एक कैपेसिटिव टचस्क्रीन थी जो उस समय रिवोल्यूशनरी थी।

लॉन्चिंग वाले साल बिके 14 लाख iPhone
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले iPhone की लॉन्चिंग के समय सभी इंजीनियर्स नर्वस और डरे हुए थे। क्योंकि जॉब्स स्टेज पर दुनिया के सामने पहला iPhone पेश कर रहे थे। क्योंकि, अगर डिवाइस में कोई गड़बड़ी हुई या डेमो दिखाते समय फोन ठीक से परफॉर्म नहीं कर पाया तो बाद में उन्हें जॉब्स के गुस्से का शिकार होना पड़ेगा। लेकिन, सब कुछ ठीक रहा, लॉन्चिंग भी सफल रही और नवंबर 2007 तक iPhone के करीब 14 लाख डिवाइस बिक चुके थे। उस समय इसकी कीमत लगभग साढ़े 10 हजार रुपए थी।

जब जॉब्स को पसंद नहीं आई डिजाइन
स्टीव जॉब्स ने आईफोन के क्रिएशन के शुरुआती दौर में नौ महीने के डेवलपमेंट के बाद एक आईफोन डिजाइन को रिजेक्ट कर दिया था। ये लगभग 2005 में हुआ था, 2007 में iPhone की रिलीज से काफी पहले। एपल की टीम ने शुरुआत में iPod क्लिक-व्हील इंटरफेस पर बेस्ड एक फोन बनाने पर फोकस किया था, लेकिन जॉब्स ने फैसला किया कि यह सही अप्रोच नहीं है। उन्होंने टीम के प्रयासों को एक मल्टी-टच स्क्रीन इंटरफेस का इस्तेमाल करने की ओर शिफ्ट किया, जो अंततः iPhone के रिवोल्यूशनरी डिजाइन का फाउंडेशन बन गया।

प्रोजेक्ट पर्पल
प्रोजेक्ट पर्पल एपल में सीक्रेट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का कोडनेम था जिसके कारण अंततः iPhone का क्रिएशन हुआ। यह 2004 में शुरू हुआ, जो स्टीव जॉब्स के विजन से इंस्पायर्ड था। जॉब्स एक फोन, आईपॉड और इंटरनेट कम्युनिकेटर को एक सीमलेस प्रोडक्ट में कम्बाइन करके मोबाइल डिवाइसेज में क्रांति लाना चाहते थे।

एपल एक टचस्क्रीन डिवाइस बनाना चाहता था जो आसान, पोर्टेबल और ग्राउंडब्रेकिंग हो। शुरुआत में, यह प्रोजेक्ट एक टैबलेट (जो बाद में आईपैड में डेवलप हुआ) के आइडियाज से उपजा, लेकिन मार्केट पोटेंशियल के कारण इसका फोकस एक फोन पर शिफ्ट हो गया।

सीक्रेसी
प्रोजेक्ट को गुप्त रखने के लिए, इसे आंतरिक रूप से ‘प्रोजेक्ट पर्पल’ के नाम से में रेफर किया गया था और एपल के इंजीनियर्स अपने हेडक्वार्टर में पर्पल डॉर्म (Purple Dorm) नामक एक हाईली सिक्योर बिल्डिंग में काम करते थे।

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