ताज महल से भी पुरानी है आगरा के पेठे की कहानी

 ‘City of Taj’ यानी आगरा पूरी दुनिया में अपनी मोहब्बत की निशानी ताज महल के लिए जाना जाता है। इस खूबसूरत इमारत को देखने का सपना हर किसी का होता है और अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए लोग दूर-दूर से भारत के इस शहर आते हैं। सफेद संगमरमर से बनी यह इमारत वास्तुकला का एक हैरतअंगेज नमूना है, जिसकी खूबसूरती वर्षों बाद भी एक जैसी बनी हुई है।

हालांकि, प्यार की इस निशानी के अलावा आगरा शहर एक और खास चीज के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। जी हां, आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं। ताजमहल के अलावा आगरा का नाम सुनते ही दूसरी चीज, जो सबसे पहले दिमाग में आती है, वह आगरा के पेठे ( Agra Ka Petha History) हैं।

आगरा की शान है पेठा

शायद ही कोई ऐसा हो, जिसने कभी आगरा के पेठों का स्वाद नहीं चखा होगा। यहां रहने वाले और इस शहर जाने वाले लोग इसका स्वाद लिए बिना रह नहीं पाते हैं। देश ही नहीं विदेश में भी इसका स्वाद काफी मशहूर है। खासकर मीठे के शौकीन लोगों की तो यह पहली पसंद होती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस पेठे का स्वाद आप बड़े चाव से लेते हैं, आखिर उसकी खोज कब और कैसे हुई। अगर नहीं, तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे आगरा के पेठे की कहानी (Interesting Story Agra’s Petha)-

शाहजहां के कहने पर बना पेठा

ऐसा कहा जाता है कि पेठा के खोजा का श्रेय मुगल बादशाह शाहजहां को जाता है। आगरा में शाहजहां के शासनकाल के दौरान इस मिठाई की खोज हुई थी। माना जाता है कि जब ताज महल का निर्माण कराया जा रहा था, तब बादशाह ने अपने रसोइयों को एक ऐसी मिठाई बनाने को कहा, जो ताजमहल की ही तरह शुद्ध, साफ और सफेद हो। बादशाद के इस आदेश को पूरा करते हुए शाही रसोइये पेठे यानी सफेद कद्दू की मदद से एक मिठाई तैयार की।

इसे बनाने के लिए उन्होंने सफेद कद्दू को टुकड़ों में काटकर इसे पानी में उबाला और फिर चीनी मिलाकर इसे मीठा स्वाद दिया गया। इस तरह सफेद कद्दू से बनी इस मिठाई का जन्म हुआ और इसे पेठा नाम दिया गया। कहा जाता है कि ताजमहल के निर्माण में लगे मजदूरों को भी खाने के लिए यह मिठाई दी जाती है, जिसे खाकर उन्हें काम करने के लिए एनर्जी मिलती थी।

ये भी है पेठे की कहानी

पेठे की खोज को लेकर एक और कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि ताजमहल के निर्माण में लगे मजदूर रोज-रोज एक ही तरह का खाना खाकर ऊबने लगे और बीमार होने लगे थे। ऐसे में रोजाना रोटी और दाल खाकर ऊब चुके मजदूरों ने बादशाह से कुछ और खाने की मांग की। बस फिर क्या था शाहजहां ने उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए अपने मास्टर आर्किटेक्ट, उस्ताद ईसा से मदद मांगी। मजदूरों की मांग पूरा करने के लिए ईसा एक पीर के पास गए, जिन्होंने ध्यान करते समय पेठे की विधि हासिल की और फिर उनकी बताई इस विधि से पेठे का ईजाद हुआ।

वर्तमान में बदल गया पेठे का स्वरूप

आगरा के पेठे को लेकर इतिहास से जुड़ी ऐसी कई और कहानियां प्रचलित है। हालांकि, वर्तमान में इसकी लोकप्रियता अब एक शहर तक सीमित नहीं रही है। देश-विदेश में लोग इसका स्वाद चख चुके हैं और इसलिए इस मिठाई को GI Tag भी मिल चुका है। मौजूदा समय में अलग-अलग तरह के कई सारे पेठे मिलते हैं, जिसमें चेरी, संतरा, केसर, अंगूरी, चॉकलेट, अनानास, बादाम, नारियल, पान, खस आदि शामिल हैं।

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