एयर इंडिया और विस्तारा में 700 कर्मचारियों पर लटकी छंटनी की तलवार

एयर इंडिया और विस्तारा दोनों एयरलाइंस के कम से कम 700 कर्मचारियों की छंटनी होने वाली है। दो अफसरों के मुताबिक इसकी आधिकारिक घोषणा इस साल अक्टूबर तक होने की संभावना है। दोनों एयरलाइंस के बहुप्रतीक्षित मर्जर ने कर्मचारियों पर छंटनी की तलवार लटका दी है। दोनों अधिकारियों ने कहा कि इसमें रिटायरमेंट के करीब पहुंच रहे कर्मचारी और फिक्स्ड टर्म कांटैक्ट वाले कर्मचारी शामिल नहीं है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 18,000 कर्मचारियों वाले एयर इंडिया का विस्तारा के साथ मर्जर होने वाला है। इसके लिए मर्ज की गई यूनिट में करीब 6000 विस्तारा कर्मचारियों को समायोजित करने की आवश्यकता होगी। एक अधिकारी ने कहा, “आंतरिक फिटमेंट प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जल्द ही छंटनी का ऐलान किया जाएगा। निश्चित अवधि के अनुबंध वाले कर्मचारियों और जल्द ही रिटायर होने वाले कर्मचारियों को छोड़कर एयर इंडिया और विस्तारा दोनों के करीब 700 कर्मचारियों की छंटनी होने की उम्मीद है।”
पायलट और केबिन क्रू की होगी छंटनी
बार-बार प्रयास करने के बावजूद एयर इंडिया के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एयरलाइन ने फिटमेंट प्रॉसेसे में मदद के लिए बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और डेलोइट को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था। उन्होंने कहा, “ग्लोबल स्टैंडर्ड लगभग 60 फीसदी है लेकिन एयरलाइन ने अपने कर्मचारियों में से लगभग 95 फीसदी को बनाए रखने का लक्ष्य रखा है। जिन लोगों को नौकरी से निकाला जाएगा, उनमें फ्लाइंग स्टाफ (पायलट और केबिन क्रू), रिटायरमेंट की उम्र के करीब पहुंच रहे कर्मचारी और निश्चित अवधि के अनुबंध वाले कर्मचारी शामिल नहीं हैं, जिनके अनुबंध सामान्य परिस्थितियों में अपने आप रिन्यूअल हो जाते हैं।”
छंटनी का फैसला प्रदर्शन के आधार पर
वहीं दूसरे अधिकारी ने कहा कि छंटनी का फैसला प्रदर्शन के आधार पर भी किया गया है। एक तीसरे अधिकारी ने नाम न बताने का अनुरोध करते हुए कहा, “नॉन-फ्लाइंग कार्यों में कर्मचारियों को संगठनात्मक आवश्यकताओं और व्यक्तिगत योग्यता के आधार पर भूमिकाएं सौंपी जानी थीं।”
एयरलाइन ने पहले कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजनाओं के दो दौर की घोषणा की थी। इसमें करीब 2,500 कर्मचारी समूह से अलग हो गए। टाटा समूह जनवरी 2022 में एयर इंडिया का मालिक बन गया। प्राईवेटाइजेशन के दौरान सरकार के साथ समझौते के तहत उन्हें एक साल तक किसी भी कर्मचारी को नौकरी से निकालने पर रोक लगा दी गई थी।