SC ने न्यायिक सक्रियाता पर सरकारी तंत्र की टिप्पणियों के खिलाफ खुद को बताया असहाय

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सक्रियता पर सरकारी तंत्र की टिप्पणियों पर खुद को असहाय कहा है. जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाले बेंच ने चाइल्ड केयर संस्थाओं की हालत पर दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, ”हम क्या करें? हम असहाय हैं.” बिहार के मुजफ्फरपुर और यूपी के देवरिया के संरक्षण गृहों में हुए यौन शोषण के मामलों के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य स्तर और केंद्रीय स्तर पर कमेटियों के गठन की बात कही थी.सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक सक्रियाता पर सरकारी तंत्र की टिप्पणियों के खिलाफ खुद को बताया असहाय

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव को मानने से इनकार कर दिया. मामले में केंद्र सरकार की ओर से एडवोकेट आर बी सुब्रमण्यम ने ये दलील दी कि मौजूदा तंत्र संरक्षण गृहों की निगरानी के लिए पर्याप्त है. नए कमेटियों के बजाय पुराने तंत्र को और सुदृढ़ करने की जरूरत है. केंद्र की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”यह काम कौन करेगा. हम इस काम को नहीं कर सकते. अगर करते हैं तो हम पर अति न्यायिक सक्रियता का आरोप लगा दिया जाएगा.”

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