सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावत फिल्म पर बैन लगाने से किया इनकार, कहा-हमारे आदेश का पालन करें राज्य सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावत फिल्म पर बैन लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि राज्य उनके 18 जनवरी के आदेश का पालन करें. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर राज्य सरकारों को उनके पास आने की पूरी आज़ादी है. सुप्रीम कोर्ट ने करणी सेना अौर राजपूत संगठनों द्वारा फिल्म के खिलाफ दायर याचिका को भी खारिज कर दिया है. इस याचिका में करणी सेना ने दलील दी थी कि ‘पद्मावत’ में रानी पद्मिनी का अपमान किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावत फिल्म पर बैन लगाने से किया इनकार, कहा-हमारे आदेश का पालन करें राज्य सरकार

बता दें कि विवाद का विषय बनी पद्मावत पर बैन की मांग को लेकर जहां राजस्‍थान अौर मध्‍य प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं, वहीं उत्‍तर प्रदेश की योगी सरकार पद्मावत को यूपी में दिखाए जाने के पक्ष में थी. यही वजह है कानून व्‍यवस्‍था का हवाला दे रहीं दोनों राज्‍य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार का उदाहरण दिया. साथ ही कहा कि जब यूपी सरकार हालात संभाल सकती है तो ये दोनों सरकारें क्‍यों नहीं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद करणी सेना का विरोध प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों सरकारों और करणी सेना व अखिल भारतीय क्ष‍त्रिय महासभा की याचिकाएं खारिज होने के बाद भी राजपूत संगठन पद्मावत का विरोध कर रहे हैं. पद्मावत में इतिहास के साथ छेड़छाड़ की बात कहकर करणी सेना ने सुप्रीम कोर्ट में पद्मावत को पूरे देश में बैन करने की मांग की थी.

फिल्म लगी तो सिनेमाघर तोड़ने से नहीं चूकेंगे

पद्मावत के 25 जनवरी को रिलीज होने से पहले करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कल्वी ने कहा कि वह इस फिल्म की स्क्रीनिंग की इजाजत नहीं देंगे. इस फिल्म का विरोध करने वाले प्रमुख संगठनों में करणी सेना भी शामिल है. इसने आरोप लगाया है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। गुरुग्राम में राजपूत वाटिका में अपने समुदाय के लोगों के साथ एक बैठक में कल्वी ने कहा, “हमें सुप्रीम कोर्ट का निर्देश नहीं मिला है. शीर्ष न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है, हमें नहीं. हम अपना खुद का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं और फिल्म की स्क्रीनिंग के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. अगर फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं रोकी गई तो हमारे समुदाय के सदस्य सिनेमाघरों में स्क्रीन को तोड़ने से नहीं रुकेंगे.”
 
 
 
 
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