सुप्रीम कोर्ट ने पूछा ? जब धोनी का आधार डेटा सेफ नहीं तो बताए क्या कदम उठा रही है सरकार


सुप्रीम कोर्ट में आधार को लेकर गुरुवार से बहस शुरू हो गई है। शीर्ष अदालत का कहना है कि सरकार बताए कैसे वो संवेदनशील बायोमैट्रिक से प्राप्त जानकारी किसी प्राइवेट कंपनी को देने से बचा सकती है। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो सारे डेटा को सुरक्षित रखे और इस बात को सुनिश्चित करे कि इसके डेटा का गलत इस्तेमाल ना हो। यह बात पांच जजों की बेंच ने वरिष्ठ वकील श्याम दीवान के आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान कहीं।
पिछले साल 9 जजों की पीठ ने निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार करार दिया था और सरकार को डेटा सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कदम उठाने के आदेश दिए थे। वरिष्ठ वकील दीवान ने आधार की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। उनका कहना है कि प्राइवेट ऑपरेटर्स द्वारा इकट्ठा की जाने वाली सूचना बेची जाती है और यूआईडीएआई का इसके ऊपर कोई नियंत्रण नहीं है। अपनी बात के समर्थन में उन्होंने न्यूज रिपोर्ट सहित स्टिंग ऑपरेशन कोर्ट के सामने पेश किए।
डेटा लीक होने से संबंधित दिए बयान में यूआईडीएआई का कहना है कि जहां तक बायोमैट्रिक डेटा लीक होने की बात है तो उसमें कोई सेंध नहीं लगा सकता है। वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि ना तो सरकार और ना ही यूआईडीएआई के पास फर्मों को दी जाने वाली जानकारी को लेकर कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। बहुत सारा व्यक्तिगत डेटा कंपनियों के पास जा रहा है। ऐसे में सुरक्षा कहां से हुई? इसमें कोई कानूनी ढांचा ना होने की वजह से नागरिकों के लिए सुरक्षा नहीं है। इस मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी।