कश्मीर वंदे भारत एक्सप्रेस: कटड़ा-बनिहाल रेल खंड पर सफल ट्रायल

कटड़ा-बनिहाल रेल खंड पर सफल ट्रायल के बाद, श्रीनगर के लिए सीधी ट्रेन सेवा जल्द शुरू होगी, जिसमें वंदे भारत एक्सप्रेस विशेष रूप से ठंड सहने के लिए डिजाइन की गई है।

रेल कनेक्टिविटी के हिसाब से 2025 जम्मू-कश्मीर के लिए बड़ा साल साबित होगा। पहले जम्मू रेलवे डिवीजन का तोहफे के बाद अब कश्मीर के लिए सीधी ट्रेन सेवा शुरू होने जा रही है। कटड़ा-बनिहाल रेल खंड पर ट्रेन का सफल अंतिम स्पीड ट्रायल पूरा होने के बाद रेल सुरक्षा आयुक्त ने उधमपुर- श्रीनगर- बारामुला (यूएसबीआरएल) रेल लिंक परियोजना से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक की और परियोजना में कुछ छोटे बदलाव करने व जरूरी दस्तावेजों भी मांगे।

रेलवे कटड़ा-बनिहाल के बीच 111 किलोमीटर लंबे रेल खंड की चुनौती बीते आठ साल में हासिल की है। ऐसे तो इस परियोजना की शुरूआत 1995-96 में हुई थी, लेकिन इसमें मुख्य कार्य 2015-16 के बाद ही शुरू हुआ था। रेलवे ने आठ साल में इस परियोजना को पूरा किया है और अब श्रीनगर के लिए सीधी ट्रेन शुरू होगी। रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने कटड़ा- बनिहाल रेल खंड का तीन दिनों तक निरीक्षण किया।

इस दौरान उन्होंने बुनियादी ढांचे के निरीक्षण के साथ-साथ ट्रेन के स्पीड ट्रायल भी देखा। सफल स्पीड ट्रायल के बाद वीरवार को सीआरएस ने अधिकारियों के साथ कई घंटों तक बैठक की। इसमें ट्रेन परिचालन पर चर्चा हुई।यूएसबीआरएल के सीईओ संदीप गुप्ता ने कहा कि सीआरएस ने परियोजना के तहत हुए कार्य की प्रशंसा की है। इससे जुड़े कुछ जरूरी दस्तावेज लिए और कुछ अतिरिक्त दस्तावेजों की भी मांग की है।

हमें मिले लक्ष्य को हमने पूरा किया है अब सरकार जब चाहे ट्रेन परिचालन को हरि झंडी दिखा सकती है। यूएसबीआरएल परियोजना चुनौती से कम नहीं थी। परियोजना पर कुल 43000 करोड़ की लागत हुई है जिसमें 33000 करोड़ सिर्फ कटड़ा- बनिहाल रेल खंड पर आया है। बनिहाल-कटड़ा खंड का निर्माण कार्य इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है।

इसमें 97 किलोमीटर लंबाई सुरंग की है और सात किलोमीटर की दूरी चार मुख्य पुलों द्वारा तय की गई हैं। परियोजना में सबसे कठिन चुनौती चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे आर्च ब्रिज (359 मीटर) को नींव का सहारा देना था। इसे 30,000 टन स्टील का उपयोग करके रॉक बोल्टिंग विधि द्वारा प्राप्त किया गया था। दूसरी मुख्य चुनौती अंजी नदी पर भारत का पहला केबल-स्टेड ब्रिज बनाना था। इस खंड पर दो अन्य पुल रियासी ब्रिज और बक्कल ब्रिज हैं।

सुरक्षा होगी कड़ी, हर टनल में हर 50 मीटर पर कैमरे
परियोजना में कार्य करते समय रेलवे इंजीनियरों के सामने सुरक्षा संबंधी चिंताएं थी। इसे दूर करने और मुख्य सुरंगों के साथ-साथ 67 किलोमीटर लंबी एस्केप सुरंगों को मजबूती देने के लिए, पारंपरिक सुरंग बनाने की विधि के बजाय हिमालयी सुरंग बनाने की तकनीक का नवाचार किया। सुरंगों में पूरी तरह से गिट्टी रहित पटरियां हैं, जैसा कि मेट्रो पटरियों पर इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें कोई जोड़ नहीं है।

यूएसबीआरएल के इस खंड में सबसे लंबी सुरंग यानी टी-50 12.77 किलोमीटर लंबी है। सुरंगों में हर 50 मीटर पर कैमरे लगाए गए हैं ताकि सुरक्षा और परिचालन डेटा पर नज़र रखी जा सके। ये कैमरे अत्याधुनिक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष से जुड़े हैं। रेलवे ने परियोजना स्थलों तक पहुंचने के लिए क्षेत्र में 215 किलोमीटर सड़के भी बनाई हैं, जिससे स्थानीय लोगों को लाभ मिल रहा है। रेलवे ने इस परियोजना में कंपन रोधी भूकंपीय उपकरणों का उपयोग किया है।

कश्मीर में चलने वाली वंदे भारत देशभर में चलने वाली ट्रेन से होगी अलगरेलवे अब कटड़ा से श्रीनगर के बीच आठ कोच वाली जम्मू श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस जल्द ही शुरू होगी। इससे कश्मीर घाटी और जम्मू के बीच ट्रेन कनेक्टिविटी का लंबा इंतजार खत्म हो जाएगा। इससे यात्रा का समय मात्र तीन घंटे और दस मिनट होगा।

कश्मीर में चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस देशभर में चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस से अलग है। इसे विशेष रूप से अत्यधिक ठंड की स्थिति में सुचारू रूप से चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है, यानी -20 डिग्री सेल्सियस से भी कम तापमान पर। यात्रियों और लोको पाॅयलट के लिए ट्रेन में हीटिंग सिस्टम लगे हैं। ड्राइवर के केबिन में गर्म विंडशील्ड है जो इसे कोहरे या जमने से बचाता है। इसके अलावा, ट्रेन में पानी को जमने से रोकने के लिए प्लंबिंग और बायो-टॉयलेट में हीटिंग तत्व हैं।

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