विश्व ट्रामा दिवस पर विशेष: इकलौते ट्रामा सेंटर के सहारे दिल्ली-एनसीआर, बढ़ रहा बोझ

दुर्घटना में घायल होने वाले दिल्ली-एनसीआर के मरीज इकलौते एम्स ट्रामा सेंटर के सहारे हैं। यहां हर दिन 400 के करीब मरीज पहुंचते हैं। इनमें से 30 से 40 मरीज को भर्ती कर तत्काल सर्जरी सहित दूसरी सुविधा देनी होती है। लेकिन कई बार पर्याप्त बेड उपलब्ध न होने पर ट्रामा में आने वाले मरीजों को बेड नहीं मिल पाता। मजबूरन उन्हें दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दुर्घटना के बढ़ते मामलों को देखते हुए 265 बिस्तर की क्षमता वाले एडवांस सुविधाओं से लैस एम्स ट्रामा सेंटर का निर्माण किया गया था। इसके अलावा कश्मीरी गेट स्थित दिल्ली सरकार का ट्रामा सेंटर और डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक ट्रामा सेंटर है, लेकिन सुविधाएं एम्स की तर्ज पर नहीं हैं। दिल्ली सरकार के ट्रामा सेंटर में 49 स्वीकृत बिस्तर हैं। साथ ही विभिन्न विभागों में प्रवेश के लिए 21 अतिरिक्त बिस्तर की सुविधा भी है।
एम्स ट्रामा सेंटर के प्रमुख डॉ. कमरान फारूकी का कहना है कि ट्रामा सेंटर में आने वाले 90 फीसदी मरीज दिल्ली-एनसीआर के होते हैं। इसके अलावा 10 फीसदी मरीजों में नार्थ इंडिया के अति गंभीर मरीज होते हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों के बढ़ते बोझ को देखते हुए सेंटर में सुविधा बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है। मौजूदा समय में सेंटर में 5 सामान्य ऑपरेशन थिएटर और 1 अतिरिक्त थिएटर उपलब्ध हैं। इन थिएटरों में हर महीने औसतन 600 सर्जरी की जाती है। इसके अलावा पांच नए मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर बनाए जा रहे हैं।
नए थिएटरों के शुरू होने के बाद, ट्रॉमा सेंटर में ऑपरेशन थिएटर की संख्या 11 हो जाएगी। इनकी मदद से हर महीने लगभग 1200 सर्जरी की जा सकेगी। इसके अलावा 250 बिस्तर की क्षमता वाले एक अतिरिक्त ट्रामा सेंटर का प्रस्ताव भी स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ट्रामा सेंटर के नजदीक एक अतिरिक्त ट्रामा सेंटर बन पाएगा।
एनसीआर में विकसित हो ट्रामा सेंटर
विशेषज्ञों का कहना है कि इमरजेंसी सुविधा, तत्काल एडवांस सर्जरी सहित अन्य सुविधा के साथ एनसीआर क्षेत्र में भी ट्रामा सेंटर विकसित होना चाहिए। दुर्घटना के बाद मरीज के लिए हर मिनट कीमती होता है। यदि उसे समय पर इलाज न मिले तो वह ठीक होने के बाद भी दिव्यांग बन सकता है। अंग कटने की स्थिति में चार घंटे के अंदर सर्जरी न हो तो उक्त अंग खराब हो सकता है।
अपने ही घर में गिर रहे बुजुर्ग, टूट रहा कूल्हा
एम्स के ट्रामा सेंटर में आने वाले कुल मरीज में करीब 20 फीसदी बुजुर्ग हैं। इन मामलों में मरीज की कूल्हे की सर्जरी करनी पड़ती है। डॉक्टरों की माने तो अक्सर देखा गया है कि बुजुर्ग देखभाल या दूसरे कारणों से दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। वह अपने घर या दूसरी जगह पर गिर जाते हैं जिसमें उनका कूल्हा तक बदलना पड़ता है। एम्स ट्रामा सेंटर में रोजाना दो से तीन बुजुर्ग की सर्जरी होती है।
लापरवाही है समस्या
निर्माण क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर बरती गई लापरवाही दुर्घटना का बड़ा कारण बनती है। इसके अलावा सड़क दुर्घटना में भी हेलमेट न पहनना, सड़क नियम का पालन न करना, फुटपाथ पर गाड़ी चलाना, सड़क पर पैदल चलना सहित दूसरे कारणों से हर साल देश में हजारों लोग घायल होते हैं।