लैंडिंग से ठीक पहले अचानक हुआ कुछ ऐसा, हवा के साथ बहता चला गया 119 पैसेंजर्स से भरा प्‍लेन

लैंडिंग से ठीक पहले अचानक कुछ हुआ कि करीब 119 पैसेंजर और केबिन क्रू से भरा प्‍लेन हवा के साथ तीन किलोमीटर तक बहता चला गया. अति आत्मविश्वास से भरे पायलट जब तक प्‍लेन को बचाने के लिए कुछ करते, इससे पहले बहुत देर हो चुकी थी. इसके बाद, कुछ ऐसा हुआ, जिसकी कल्‍पना फ्लाइट में मौजूद न ही किसी पैसेंजर ने की होगी और न ही पायलट्स ने ऐसा कुछ सपने में भी सोचा होगा.

दरअसल, यह घटना आज से करीब 23 साल पहले की है. ईरान एयर टूर की फ्लाइट 956 ने 12 फरवरी 2002 की सुबह करीब 7:30 बजे तेहरान से खोर्रामाबाद के लिए उड़ान भरी थी. इस फ्लाइट में 107 पैसेंजर के साथ 12 क्रू मेंबर मौजूद थे. फ्लाइट के टेकऑफ से लेकर लैंडिंग से पहले तक सबकुछ ठीक था, लेकिन लैंडिंग के ठीक पहले कुछ ऐसा हुआ, जिसने प्‍लेन में सवार सभी पैसेंजर और क्रू-मेंबर के लिए आखिरी फ्लाइट बना दिया.

सामान्‍य नेविगेशन सिस्‍टम मुश्किल था लैंड कराना
ईरान एयर टूर का यह प्‍लेन अपने समय पर खोर्रामाबाद एयरपोर्ट पर लैंडिंग की तैयारी में था. लेकिन, इससे ठीक पहले खोर्रामाबाद एयरपोर्ट का मौसम अचानक से बहुत खराब हो गया. विजिबिलिटी की कमी और तेज हवाओं के चलते प्‍लेन को समान्‍य नेविगेशन मैथड्स से लैंड कराना बहुत मुश्किल हो गया था. बावजूद इसके, अति आत्मविश्वास से भरे पायलट ने प्‍लेन को लैंड कराने का आखिरी फैसला ले लिया.

रनवे से तीन किमी बायीं दिशा में हट गया प्‍लेन
खोर्रामाबाद एयर स्‍पेस में हवा की रफ्तार इतनी तेज थी कि प्‍लेन रनवे से करीब तीन किमी दूर हट गया. पायलट्स ने प्‍लेन को रनवे की दिशा में लाने की कई कोशिश की, लेकिन सामान्‍य नेविगेशन सिस्‍टम के चलते यह संभव नहीं हो सका. खो़र्रामाबाद एयरपोर्ट पर सोवियत शैली की नेविगेशन प्रणाली मौजूद नहीं थी, लिहाजा प्‍लेन को IFR (Instrument Flight Rules) की बजाय VFR (Visual Flight Rules) सिस्‍टम से लैंड कराने का फैसला लिया गया.

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