पहाड़ों पर बर्फबारी, मैदानी क्षेत्रों में हल्की ठंड का अहसास; इन इलाकों में हो सकती है बारिश

पाकिस्तान सीमा पर पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के चलते भारत के पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो गई है। इसका असर मैदानी इलाकों पर भी पड़ेगा। ठंडी हवाएं उत्तर से दक्षिण की ओर चलने लगी हैं। एक-दो दिनों में यह पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों तक अपना असर दिखा सकता है। इसके चलते दीपावली के पहले आसमान साफ हो सकता है।

ठंड की शुरुआत अभी देर से होगी

प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है। हालांकि भारत मौसम विभाग (आइएमडी) का कहना है कि मैदानी मौसम में अभी एक सप्ताह तक कोई बड़ा परिवर्तन नहीं होगा। तापमान गिरने से गर्मी से थोड़ी राहत जरूर मिलेगी, लेकिन ठंड की शुरुआत अभी देर से होगी। जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों में मंगलवार को इस मौसम की पहली बर्फबारी हुई, जिससे तापमान में गिरावट आने लगी।

आइएमडी का अनुमान है कि अगले कुछ घंटों के दौरान हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के भी कई जगहों पर बर्फबारी हो सकती है। साथ ही मैदानी इलाकों में भी जहां-तहां बारिश होने का अनुमान है। उत्तराखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के कई स्थानों में हल्की बारिश की संभावना जताई गई है।

मैदानी इलाकों के मौसम में बड़ा परिवर्तन दिखेगा

31 अक्टूबर को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों के साथ लखनऊ, झांसी एवं कानपुर आदि स्थानों में तेज हवा चल सकती है। इससे आसमान साफ होगा, हवा की गुणवत्ता थोड़ा सुधरेगी और प्रदूषण की मात्रा कम होगी। धुंध के हटने से दिन का तापमान थोड़ा ऊपर चढ़ सकता है। हालांकि आइएमडी का मानना है कि पहाड़ी इलाकों में मजबूत बर्फबारी के बाद ही मैदानी इलाकों के मौसम में बड़ा परिवर्तन दिखेगा। ऐसी गतिविधियां अभी दिख नहीं रही हैं।

दीपावाली के लगभग एक हफ्ते बाद हल्की ठंड दिख सकती है। दूसरे सप्ताह से पहाड़ी क्षेत्रों से हवाएं मैदानी इलाकों की ओर चलने लगेंगी। इससे तापमान में गिरावट आएगी और रातें ठंडी हो जाएंगी। दिन में भी ठंड का अहसास होने लगेगा।

प्रदूषण का स्तर बढ़ गया

फिलहाल उत्तर भारत में कई दिनों तक दिन का तापमान 30 से 35 डिग्री तक बना रह सकता है और न्यूनतम तापमान 20-24 डिग्री के बीच रहने का अनुमान है। यह सामान्य से करीब तीन से चार डिग्री अधिक है। इसके पहले पहाड़ों में 24 अक्टूबर के आसपास सक्रिय हुए पश्चिमी विक्षोभ के असर से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के तापमान में कुछ कमी जरूर आई थी, किंतु हवाओं के दिशा बदलते ही तापमान फिर से स्थिर हो गया। इससे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ गया।

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