SMS ट्रॉमा हादसा; सरकार CISF से समय पर मांगती रिपोर्ट तो बच सकती थीं जानें

जयपुर: सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह (SMS) ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात शॉर्ट सर्किट से लगी आग में 8 मरीजों की दर्दनाक मौत के बाद अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। घटना होने के बाद अब सरकार को CISF की याद आई है। गौरतलब है कि तीन माह पहले ही SMS मेडिकल कॉलेज ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) से अस्पताल परिसरों की सुरक्षा ऑडिट और परामर्श सेवा ली थी, जिसके लिए 30 लाख रुपये का भुगतान भी किया गया था। इसके बावजूद अब तक CISF की रिपोर्ट कॉलेज प्रशासन को नहीं सौंपी गई है।
CISF ने किया था दौरा, रिपोर्ट लंबित
SMS मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने अस्पतालों में सुरक्षा को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए CISF से परामर्श मांगा था। CISF ने ट्रॉमा सेंटर समेत अन्य अस्पतालों का दौरा कर सुरक्षा खामियों की जांच की, लेकिन तीन महीने बीत जाने के बावजूद उनकी रिपोर्ट नहीं मिली। यदि यह रिपोर्ट समय पर मिल जाती, तो ट्रॉमा सेंटर की यह भयावह घटना टाली जा सकती थी।
मरीजों की क्षमता 3 हजार, भर्ती साढ़े चार हजार से ज्यादा
राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल होने की वजह से SMS अस्पताल में मरीजों का भार इसकी क्षमता से हमेशा ज्यादा रहा है। राज्य भर के अस्पतालों से केस रैफर होकर यहां आते हैं। इसके अलावा आस-पास के राज्यों जैसे हरियाणा, यूपी, एमपी से भी यहां बड़ी संख्या में मरीज इलाज करवाने आते हैं। SMS अस्पताल अधीक्षक डॉ. मृणाल जोशी का कहना है कि मरीजों की सुरक्षा को लेकर रिव्यू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम यह तय कर रहे हैं कि आग जैसी आपात स्थितियों में मरीजों की जान कैसे सुरक्षित की जाए। इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
जर्जर बिल्डिंग, हाई रिस्क अस्पताल
SMS अस्पताल की मौजूदा इमारत करीब 80 साल पुरानी है, जो अब खस्ताहाल हो चुकी है। MNIT द्वारा कराए गए एक सर्वे में बताया गया कि बिल्डिंग जर्जर है और उस पर किसी तरह का नया निर्माण संभव नहीं है। इस रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने अस्पताल को पूरी तरह से ध्वस्त कर नई बिल्डिंग बनाने की सिफारिश की थी।
ICU इंचार्ज ने सरकार को कई बार लिखी थी चिट्ठी
ट्रॉमा सेंटर में हुई आग की घटना से पहले पूर्व इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ ने कई बार पत्र लिखकर बिजली से जुड़ी गंभीर समस्याओं की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया था कि नए निर्माण के चलते बिजली के तारों में लगातार करंट आ रहा है और इससे मरीजों के इलाज में खतरा पैदा हो रहा है। इन चेतावनियों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
ट्रॉमा सेंटर को मिला था राष्ट्रीय सम्मान
2014 में स्थापित SMS ट्रॉमा सेंटर को हाल ही में “सर्वश्रेष्ठ संस्थान पुरस्कार 2025” से सम्मानित किया गया था, जो न्यूरोट्रॉमा सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रदान किया गया। लेकिन अब यही सेंटर आगजनी और लापरवाही के दाग़ से घिर गया है। डॉ. जोशी के अनुसार, “ICU को आग से नुकसान पहुंचा है और इलाज प्रभावित हुआ है, लेकिन जल्द ही उसे दुरुस्त कर लिया जाएगा।”
सुरक्षा उपायों की अनदेखी बनी हादसे की वजह
CISF ने 3 माह पहले SMS और ट्रॉमा सेंटर का दौरा कर सुरक्षा ऑडिट किया था।
रिपोर्ट आज तक कॉलेज प्रशासन को नहीं सौंपी गई।
बिल्डिंग जर्जर, MNIT ने पुनर्निर्माण की सिफारिश की।
मरीजों और परिजनों की सुरक्षा के लिए CISF को नियुक्त किया गया था।
पुराने पत्रों में ट्रॉमा की बिजली व्यवस्था पर चिंता जताई गई थी।