सेल से रेल के पहियों की आपूर्ति धीमी

रेल मंत्रालय ने वित्त वर्ष 24 की अप्रैल-जून (पहली) तिमाही में भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) से रोलिंग स्टॉक विनिर्माण संचालन को सुचारू करने और आपूर्ति की प्रतिबद्धता को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का निर्देश दिया है। इस मामले के जानकार अधिकारी ने बताया कि लाल सागर में जारी संकट के कारण आयातित फोर्ज्ड व्हील की अस्थायी तंगी के मद्देनजर रेल मंत्रालय ने यह निर्देश जारी किया है।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘सेल से पहियों की आपूर्ति कम हो रही है। जून मध्य तक अप्रैल-जून तिमाही के महज 64 फीसदी की आपूर्ति की आपूर्ति हुई थी।’ अधिकारी के अनुसार महत्त्वपूर्ण आपूर्ति जैसे डब्ल्यूएपी – 5 (ब्रॉड गेज इलेक्ट्रिक पैसेंजर यूनिट) के लोकोमोटिव व्हील और इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) के लिए एक्सेल की आपूर्ति भी समय से पीछे है। पिछली तिमाहियों में कई बार रिमाइंडर दिए के बावजूद लक्ष्य के अनुरूप आपूर्ति नहीं हुई है।

सेल ने रेल मंत्रालय को मार्च में 700 कोचिंग एक्सेल और 500 डब्ल्यूएपी-5 व्हील की आपूर्ति करने की प्रतिबद्धता जताई थी। डब्ल्यूएपी का मतलब ब्रॉड गेज (डब्ल्यू), आल्टरनेटिंग करंट (ए), पैसेंजर ट्रैफिक (पी) लोकोमोटिव है और 5 वीं पीढ़ी के लिए (5) का इस्तेमाल होता है। सेल के प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘सेल ने अप्रैल-जून 2024 में विभिन्न तरह के पहियों के कुल ऑर्डर की 87 फीसदी आपूर्ति करने की उम्मीद जताई है। सेल ने रेल मंत्रालय को वर्तमान तिमाही में भारतीय रेल को कुल 11,700 पहियों की आपूर्ति की थी जबकि अप्रैल – जून 2023 में 9,597 और जनवरी मार्च 24 में 11,301 पहियों की आपूर्ति की थी।’

स्टील निर्माता ने बताया कि सेल के दुर्गापुर स्टील संयंत्र में जून 2024 में नई नॉन डिस्ट्रक्टिव टेस्टिंग मशीन का प्रयोग शुरू करने से परीक्षण की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। सेल का दुर्गापुर स्टील संयंत्र विशेष तौर पर भारतीय रेल के लिए पहिया और एक्सेल बनाता है। सार्वजनिक क्षेत्र का यह स्टील निर्माता राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर रेलवे को बीते छह दशकों से फोर्ज्ड व्हील की आपूर्ति कर रहा है। यह पहले देश में एकमात्र फोर्ज्ड व्हील निर्माता था।

इस्पात उत्पादक ने मध्य जून में बैठक के दौरान रेल मंत्रालय को बताया था कि वह जून के बचे हुए दिनों में आपूर्ति को बेहतर करेगा ताकि पहली तिमाही में आपूर्ति की संख्या को पूरा किया जा सके। स्टील मेकर जुलाई-सितंबर तिमाही में महत्त्वपूर्ण उत्पादों जैसे डब्ल्यूएपी-5 (ब्रॉड गेज इलेक्ट्रिक पैसेंजर यूनिट) लोकोमोटिव व्हील और आईसीएफ एक्सेल की आपूर्ति को बेहतर करेगा। इस बारे में रेल मंत्रालय से सवाल पूछे गए थे लेकिन खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं मिला था।

लाल सागर संकट के कारण वैश्विक स्तर पर शिपिंग कंटेनर की गैर उपलब्धता है और इससे एशिया के बंदरगाह भी प्रभावित हुए हैं। आवाजाही बाधित होने से शिपिंग/कंटेनर के दाम पर्याप्त रूप से प्रभावित हुए हैं। अटकलें यह है कि यह आवाजाही जुलाई में भी प्रभावित रहेगी। इससे आयातित पहियों की आपूर्ति बाधित हो सकती है। अभी ज्यादातर पहियों की आपूर्ति चीन से होती है।

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