अमेरिका से लौटे सिख युवकों का सामने आया दर्द
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ट्रंप प्रशान की ओर से अवैध प्रवासियों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। कुछ दिनों पहले अमेरिका से निकाले गए 112 भारतीयों को लेकर विमान अमृतसर पहुंचा। डिपोर्ट किए गए लोगों में सिख समुदाय के लोग भी शामिल थे। डिपोर्ट किए गए कई सिख समुदाय लोगों के सिर पर पगड़ी नहीं थी।
डिपोर्ट किए गए कुछ लोगों ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत की और बताया कि कैसे निर्वासित लोगों के लिए बनाए गए हिरासत केंद्रों में सिख धर्म की वस्तुओं जैसे पगड़ी का अनादर किया गया और उन्हें कूड़ेदान में फेंक दिया गया।
21 वर्षीय दविंदर सिंह 116 अवैध भारतीय अप्रवासियों के दूसरे जत्थे में शामिल थे, जिन्हें 15 फरवरी की रात को अमेरिकी सैन्य विमान से वापस लाया गया था। दविंदर सिंह पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले हैं।
पगड़ियों को कूड़ेदान में फेंका गया: दविंदर सिंह
दविंदर सिंह को अवैध रूप से सीमा पार करके अमेरिका में प्रवेश करने के आरोप में हिरासत केंद्र में भेज दिया गया था। दविंदर ने बताया कि पगड़ियों को कूड़ेदान में फेंकते देखना बहुत दुखद था।
कैसा था हिरासत केंद्र का मंजर?
उन्होंने हिरासत केंद्र (डिटेंशन सेंटर) में अपने दर्दनाक अनुभव का विवरण देते हुए कहा कि उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों को सिख अप्रवासियों की पगड़ियों को कूड़ेदान में फेंकते देखा था।
उन्होंने आगे कहा कि आप्रवासियों को उचित भोजन नहीं दिया गया तथा उन्हें ठंड से बचने के लिए केवल “पतले” कंबल दिए गए क्योंकि एयर कंडीशनर कम तापमान पर चलाए जा रहे थे।
जब हम उन्हें बताते थे कि हमें ठंड लग रही है, तो वे बिल्कुल भी परेशान नहीं होते थे।” सिंह ने हिरासत केंद्र में बिताए गए 18 दिनों को अपने जीवन का सबसे बुरा दिन बताया और इसे ‘मानसिक रूप से दर्दनाक’ बताया है।
उन्हें दिन में पांच बार केवल चिप्स का एक छोटा पैकेट और जूस का एक पैकेट दिया जाता था। इसके अलावा, उन्हें अधपकी रोटी, अधपका चावल, स्वीट कॉर्न और खीरा का रोल दिया जाता था। शाकाहारी होने के कारण दविंदर नॉनवेज भी नहीं खा सकते थे। दविंदर सिंह ने बताया कि अमेरिका जाने के लिए उन्होंने 40 लाख रुपए खर्च किए थे।
बता दें कि जब डिपोर्ट किए गए लोगों को अमृतसर एयरपोर्ट पर विमान से उतारा जा रहा था तो सिख समुदाय लोगों के सिर पर पगड़ी नहीं थी। हालांकि इस संबंध में न तो प्रशासन ने कोई जानकारी नहीं है कि उनके सिर पर पगड़ी क्यों नहीं थी और न ही उनके स्वजनों को।