मंत्री किरेन रिजिजू से मिला सूफी प्रतिनिधिमंडल, भारत में सूफी कॉरिडोर और विरासत विकास पर की चर्चा…

भारतभर के सूफी आध्यात्मिक संस्कृति के एक प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बीच बैठक हुई। इस बैठक का नेतृत्व हाजी सैयद सलमान चिश्ती, गद्दीनशीन दरगाह अजमेर शरीफ ने किया। प्रतिनिधिमंडल में शाजिया इल्मी साहिबा भी शामिल हुईं, जो देश के भीतर आध्यात्मिक और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

बैठक में चर्चा का विषय भारत की प्रमुख दरगाहों के आसपास विश्व स्तरीय बुनियादी और प्राचीन विरासत के विकास पर था। इसकी शुरुआत अजमेर शरीफ से होगी। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित महत्वाकांक्षी सूफी कॉरिडोर का हिस्सा है। यह दूरदर्शी परियोजना भारत को वैश्विक स्तर पर शीर्ष सूफी आध्यात्मिक गंतव्य के रूप में स्थापित करना चाहती है। 

दुनिया सूफीवाद और सभी के प्रति बिना भेदभाव प्यार के सूफी आदर्शों की बात करती है। प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करने वाले हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए ऐसे बुनियादी और प्राचीन विरासत को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इससे दुनिया भर के लाखों आध्यात्मिक सूफी अनुयायियों और पर्यटकों के लिए बेहतर बनाया जा सके।

समग्र सामुदायिक विकास के लिए प्रतिबद्धता
सूफी कॉरिडोर पर चर्चा करने के अलावा, प्रतिनिधिमंडल ने भारत भर में विविध मुस्लिम समुदाय के समग्र विकास के लिए अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता भी साझा की। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कौशल विकास में पहल शामिल हैं, जिसका उद्देश्य जीवन स्तर को ऊपर उठाना और सामाजिक, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। ये प्रयास नये वक्फ संशोधनों के अनुरूप हैं। इसके लिए प्रतिनिधिमंडल ने अपने विचार व्यक्त किए, साथ ही कुछ सामुदायिक चिंताओं को भी व्यक्त किया।

सम्मान और सहयोग के प्रतीकात्मक इशारे
बैठक के दौरान हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने सम्मान और सद्भावना के प्रतीक के रूप में अजमेर शरीफ से पवित्र तबर्रुकात और दस्तारबंदी पेश की। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को “व्हर्लिंग दरवेश” नामक एक ओरिजिनल कैनवास सूफी कलाकृति भी भेंट की गई, जो भारत में सूफीवाद के गहरे आध्यात्मिक संबंध और कलात्मक विरासत का प्रतीक है।
बैठक के अंत मे केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सूफी प्रतिनिधिमंडल को अगले कुछ हफ्तों में होने वाली संयुक्त संसदीय समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए एक भावी निमंत्रण दिया। यह निमंत्रण सरकार और आध्यात्मिक नेताओं के बीच निरंतर सहयोग और संवाद के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।

प्रतिनिधिमंडल में भारत भर के सूफी दरगाहों से उल्लेखनीय हस्तियां हुई शामिल 
अजमेर शरीफ से साहिबजादा सैयद अफशान चिश्ती और मेहराज चिश्ती साहब, दरगाह हज़रत बाबा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी चिश्ती (र) से जनाब मंजूरुल हक कुतुबी साहब, दरगाह हज़रत निजामुद्दीन औलिया (र)-नई दिल्ली से सैयद अनफाल निजामी, शाही बाग खानकाह ए चिश्तिया दरगाह, अहमदाबाद-गुजरात से सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती साहब, दरगाह हज़रत सूफी मुहम्मद खुशहाल शाह साहब, मुजफ्फरनगर-यूपी से जनाब सूफी जवाद अहमद खुशहाली, युवा समुदाय की आवाज जनाब अफजल इशाक इल्मी साहब नई दिल्ली से शामिल हुए ।

वैश्विक आध्यात्मिक नेता के रूप मे भारत के लिए एक दृष्टिकोण
ये बैठक भारत के मुस्लिम समुदाय की आध्यात्मिक और सामाजिक आकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जबकि भारत की सांस्कृतिक और विश्व मंच पर आध्यात्मिक विरासत को बढ़ावा देना। सरकार और सूफी समुदाय के बीच सहयोग शांति, एकता और प्रगति के प्रति राष्ट्र की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। जैसे-जैसे दुनिया आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए भारत की ओर देख रही है, सूफी कॉरिडोर और इससे जुड़ी पहल न केवल आध्यात्मिक केंद्र के रूप में देश की स्थिति को बढ़ाएगी बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि सूफीवाद के मूल्य प्रेम, शांति और सद्भाव आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहें।

Back to top button