मुलायम के सहारे शिवपाल की सियासी… आंगन में छिड़ी जंग
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम सिंह के आंगन में छिड़ी जंग अभी भी यथावत जारी है. यूपी चुनाव के बाद से समाजवादी पार्टी का जनाधार और मुलायम कुनबे का राजनीतिक भविष्य कठिन दौर से गुजर रहा है. कहते हैं कि डूबते जहाज में अगर लूटपाट और दंगल शुरू हो जाए तो वह और तेजी से डूबता है. समाजवादी पार्टी की स्थिति कमोबेस यही है.
शिवपाल मुलायम के सहारे अपनी सियासी बिसात लगातार बिछा रहे हैं. शिवपाल को उम्मीद है कि मुलायम के सहारे वो अपनी राजनीतिक नैया पार लगा लेंगे. यही वजह है कि कई बार सार्वजनिक तौर पर कहते रहे हैं कि समाजवादियों को वो एकजुट करके सेक्युलर मोर्चा बनाएंगे, जिसके अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव होंगे. लेकिन अब मोर्चा बनाने के बजाए नई पार्टी बनाने की कवायद शुरू कर दी है. सपा संरक्षक मुलायम सिंह आज नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं, जिसमें नेताजी के सिपहसलार शिवपाल यादव होंगे.
अखिलेश ने शिवपाल को लगाया ठिकाने
विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने चाचा रामगोपाल यादव के साथ मिलकर शिवपाल यादव को ठिकाने लगाया. इतना ही नहीं पार्टी की कमान भी अपने हाथों में ले ली थी. इतना ही नहीं अखिलेश ने चुनाव के बाद संगठन से शिवपाल परस्त लोगों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पार्टी अब पूरी तरह से अखिलेशमय है. कुनबे में खठास इतनी बढ़ गई है कि शनिवार को लखनऊ में हुई पार्टी की राज्यस्तरीय सम्मेलन में शिवपाल और मुलायम सिंह शामिल नहीं हुए.
लोहिया ट्रस्ट पर शिवपाल का वर्चस्व
शिवपाल मुलायम के सहारे अखिलेश को राजनीतिक मात देने की कवायद कर रहे हैं. गुरुवार को मुलायम ने रामगोपाल को लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से बर्खास्त कर दिया और उनकी जगह शिवपाल यादव को सचिव बना दिया. पहले भी अखिलेश के करीबी चार सदस्यों को ट्रस्ट से बेदखल कर दिया. इसमें राम गोविंद चौधरी, ऊषा वर्मा, अशोक शाक्य और अहमद हसन हैं. सपा संरक्षक मुलायम सिंह ने इन चार सदस्यों की जगह शिवपाल के चार करीबियों को सदस्य बनाया. इनमें दीपक मिश्रा, राम नरेश यादव, राम सेवक यादव और राजेश यादव सदस्य बनाया.
नेताजी बनाएंगे नई पार्टी- शिवपाल समर्थक
मुलायम सिंह यादव सोमवार को बड़ा फैसला लेने जा रहे हैं. सपा के पूर्व प्रवक्ता और शिवपाल यादव के करीबी माने जाने वाले मोहम्मद शाहिद ने aajtak.in से कहा, “सांप्रदायिक शक्तियां लगातार अपना पैर पसारती जा रही हैं और कोई भी पार्टी उसके मुकाबले खड़ी नहीं हो रही है. अखिलेश यादव की नेतृत्व वाली सपा भी इसके शामिल है. ऐसे में एक पार्टी की सख्त जरूरत है, जिसका ऐलान नेताजी आज करेंगे.” अखिलेश से नाराज सपा के सभी नेता होंगे साथ.
शिवपाल के दबाव में नहीं झुके अखिलेश
दरअसल पिछले काफी समय से शिवपाल लगातार मुलायम के सहारे अखिलेश को टारगेट पर लेते रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी थी. विधानसभा चुनाव हार के बाद से ही सार्वजनिक रूप से शिवपाल कहते रहे हैं, कि पार्टी की कमान मुलायम सिंह यादव को देनी चाहिए, लेकिन अखिलेश ने साफ कह दिया है कि वो पार्टी के अध्यक्ष हैं और रहेंगे. पार्टी की कमान किसी को नहीं देंगे. इतना ही नहीं अखिलेश पर दबाव बनाने के लिए उन्होंने अलग पार्टी बनाने का राग भी अलापा. पर अखिलेश के इरादे में कोई बदलाव नहीं आया. इसके बाद खबर आई की शिवपाल बीजेपी खेमें में जा सकते हैं. इस पर भी अखिलेश खामोशी अख्तियार किए रहे. इसी का नतीजा रहा कि शिवपाल यादव ने मुलायम के अपनी अलग सियासी पार्टी बनाने की बिसात बिछाई है.
मुलायम के वारिस के तौर अखिलेश की बनी पहचान
मुलायम सिंह यादव के सहारे शिवपाल भले ही राजनीतिक पार्टी बना लें, लेकिन अपना वजूद कितना स्थापित कर पाएंगे ये बड़ा सवाल है. क्योंकि मुलायम के वारिस के तौर पर अखिलेश यादव ने अपनी पहचान बनाने में काफी हद तक कामयाब हो गए हैं और प्रदेश के यादव समाज ने भी उन्हें अपने नेता के तौर पर स्वीकार कर लिया है. एसपी के वो राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन चुके हैं. आजम खान से लेकर रामगोपाल, रामगोविंद चौधरी, नरेश अग्रवाल और किरण नन्दा तक अखिलेश के साथ हैं.
किनके सहारे शिवपाल बनाएंगे जगह
नई पार्टी भले ही मुलायम बना रहे हों, लेकिन वह शिवपाल की मानी जाएगी. शिवपाल संगठन के शख्स रहे हैं, सपा के संगठन में अच्छी पकड़ रही है. लेकिन शिवपाल किन साथियों के सहारे अपनी जगह बनाएंगे ये बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि नेताजी के ज्यादातर करीबी अखिलेश के साथ हो चुके हैं. शिवपाल की छवि भी काफी जगजाहिर है. इन सबके बाद भी शिवपाल अखिलेश के लिए सिरदर्द जरूर बनेंगे.