मिशन 2019 को लेकर शरद पवार से मिले राहुल गांधी, ‘महागठबंधन’ को लेकर चर्चा तेज

कांग्रेस पार्टी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए धीरे-धीरे महागठबंधन की ओर बढ़ती जा रही है। पिछले दिनों जहां यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भविष्य की योजना को लेकर राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को रात्रि भोज पर बुलाया वहीं राहुल गांधी भी नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी( एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की है।
शरद पवार से मुलाकात को राजनीति के जानकार 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्दे नजर ही देख रहे हैं। यह मुलाकात बुधवार को बिहार और उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पवार के आवास पर हुई।
सूत्रों के अनुसार दोनों नेताओं ने 2019 के आम चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकता के सूत्र में बांधने के मुद्दे पर चर्चा की। इससे एक दिन पहले इसी मकसद से यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष को डिनर पर बुलाया था, जिसमें 20 पार्टियों के नुमाइंदे शामिल हुए थे।
समझा जाता है कि राहुल जल्दी ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से भी मिलने वाले हैं। बनर्जी 28 मार्च को पवार द्वारा आहूत संयुक्त विपक्षी नेताओं की बैठक में भी शामिल होने वाली हैं। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का गढ़ कहे जा रहे फूलपुर में भाजपा की करारी हार के बाद उसके खिलाफ साझा मोर्चा बनाने की मांग ने जोर पकड़ा है।
गोरखपुर और फूलपुर में सपा-बसपा के उम्मीदवार को समर्थन नहीं देने और अपना उम्मीदवार खड़ा करने के लिए कांग्रेस की तीखी आलोचना हो रही है। इन दोनों सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।
वहीं बीजेपी की बढ़ती साख से घबराए विपक्षी दलों में महागठबंधन को लेकर सुगबुगाहट तो लंबे समय से चल रही है लेकिन जैसे- जैसे 2019 करीब आ रहा है पार्टियों के अध्यक्षों का मिलना जुलना भी तेज हो रहा है। मंगलवार को 10 जनपथ पर हुई बैठक में जहां विपक्षी दलों ने अगले आम सभा चुनाव में भाजपा को पटखनी देने के लिए संयुक्त मोर्चा के गठन पर बात की।
वहीं समविचारी गठबंधनों को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी महागठबंधन की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि देश में अघोषित आपातकाल से भी बदतर स्थिति बनी हुई है।
पिछले दिनों हुई सोनिया गांधी की डिनर डिप्लोमेसी को विपक्षी दल भी राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मान रहे हैं। लेकिन यहां बताना महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस रात्रि भोज में तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट भी सुनाई दी थी लेकिन ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और मायावती की अनुपस्थिति ने इसे थोड़ा कमजोर कर दिया था।