जल संसाधन से जुड़े मुद्दों पर नेपाल और भारत के बीच बनी सात सूत्रीय सहमति

जल संसाधन से जुड़े मुद्दों पर नेपाल और भारत के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच सात सूत्रीय सहमति बन गई है। पंकज कुमार, सचिव, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार और सागर राय, सचिव, ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्रालय की सहअध्यक्षता में जल संसाधन पर संयुक्त समिति की नौवीं बैठक के दौरान यह सहमति बनी।

बैठक में पंचेश्वर विकास प्राधिकरण (PDA) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समूह के कार्यकाल व शासनादेश को बढ़ाने का निर्णय लिया गया

महाकाली संधि का हिस्सा है पंचेश्वर

पंचेश्वर 1996 में नेपाल और भारत के बीच हस्ताक्षरित महाकाली संधि का हिस्सा है, जिसमें 6,000 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन होने की उम्मीद थी और यह दो देशों के बीच हजारों भूमि की सिंचाई करेगा, लेकिन दोनों पक्षों के बीच कई मतभेदों के कारण निष्पादन के लिए जाने में विफल रहा है। दशकों से अधर में लटकी परियोजना से बिजली उत्पादन के लिए पीडीए का गठन जरूरी है।

अप्रैल 2022 में हुई बैठक की चर्चा

बैठक में अप्रैल 2022 में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की भारत यात्रा के दौरान जारी बिजली क्षेत्र सहयोग पर भारत-नेपाल संयुक्त विजन वक्तव्य को भी याद किया गया, जहां दोनों प्रधानमंत्रियों ने अपने संबंधित अधिकारियों को परियोजना की डीपीआर को जल्दी अंतिम रूप देने की दिशा में द्विपक्षीय चर्चा में तेजी लाने का निर्देश दिया था।

टीओई का कार्यकाल मार्च 2023 तक बढ़ाया गया

बैठक के पूरा होने पर शनिवार को भारतीय दूतावास द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, जेसीडब्ल्यूआर ने पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना की डीपीआर को अंतिम रूप देने के लिए विशेषज्ञों की टीम (टीओई) का कार्यकाल मार्च 2023 तक बढ़ाया और जल्द से जल्द चौथी टीओई बैठक आयोजित करने पर सहमत व्यक्त की।

एक अन्य समझौते के अनुसार, पीडीए के लिए अधोहस्ताक्षरित कार्य को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पक्ष अपने स्थायी कर्मचारियों और पदाधिकारियों को तीन महीने के भीतर भेज देंगे। टनकपुर बैराज से नेपाल को पानी छोड़ने पर भी सहमति बनी। महाकाली नदी को भारत में सारदा के नाम से जाना जाता है।

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