एड्स दिवस पर यूपी में लांच होंगे सात वन स्टॉप सेंटर : डॉ. हीरा लाल
एचआईवी के साथ ही टीबी व अन्य बीमारियों की जाँच व स्क्रीनिंग होगी
भ्रांतियों को दूर करने के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर मिलेगा परामर्श
लखनऊ : विश्व एड्स दिवस (01 दिसम्बर) पर उत्तर प्रदेश में सात वन स्टॉप सेंटर लांच किये जाएंगे। कानपुर और वाराणसी में दो-दो सेंटर बनेंगे जबकि गौतमबुद्ध नगर, मेरठ और मुरादाबाद में एक-एक सेंटर बनाये जाएंगे। इन सेंटर पर एक ही छत के नीचे एचआईवी/एड्स और टीबी के साथ अन्य गैर संचारी रोगों की जाँच, स्क्रीनिंग, मानसिक स्वास्थ्य पर परामर्श, सामाजिक सुरक्षा और भ्रांतियों को दूर करने की सुविधा उपलब्ध होगी। यह बातें यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के अपर परियोजना निदेशक डॉ. हीरा लाल ने मंगलवार को यहाँ एक होटल में वाईआरजी केयर संस्था के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहीं। डॉ. हीरा लाल ने बताया कि प्रदेश में इन केन्द्रों का संचालन ग्लोबल फंड की मदद से वाईआरजी केयर संस्था करेगी। संस्था कार्यक्रम का विस्तृत ब्योरा नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (नाको) और यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी को समय-समय पर उपलब्ध कराएगी। जिलों में जिला क्षय रोग अधिकारी इस कार्यक्रम के नोडल अधिकारी होंगे, जिनके देखरेख में पूरा कार्यक्रम चलेगा। उन्होंने कार्यक्रम के व्यापक प्रचार-प्रसार पर विशेष तौर पर ध्यान देने की बात कही ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इन स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
इस मौके पर वाईआरजी केयर संस्था के प्रोजेक्ट लीड कवीश्वर कृष्णन ने वन स्टॉप सेंटर परियोजना पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि देश के 25 राज्यों में इस तरह के 71 केंद्र संचालित किये जा रहे हैं । यूपी में जो सात सेंटर बनाये जायेंगे उनमें कानपुर में एक सेंटर खास तौर पर ट्रांस जेंडर और एक सेंटर प्रवासी कामगार पर आधारित होंगे। इसी तरह वाराणसी में एक सेंटर ट्रांस जेंडर और एक सेंटर आईडीयू यानि इन्जेक्टेबल ड्रग यूजर्स पर आधारित होंगे। इसके अलावा गौतमबुद्ध नगर, मेरठ और मुरादाबाद में प्रवासी कामगारों की मदद के लिए सेंटर बनाये जाएंगे। सेंटर पर डाक्टर, एएनएम और चैम्पियन की तैनाती होगी जो कि लक्षण वाले संभावित मरीजों की जाँच, स्क्रीनिंग, परामर्श और फालोअप में मदद करेंगे। इससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों को भी जोड़ा जाएगा। सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय के जरूरी कार्यक्रमों का भी लिंकेज होगा। अभी एक दिसम्बर से मार्च 2024 तक इस प्रोजेक्ट के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को हर तरह की स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का प्रयास होगा।
इस अवसर पर यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम को संचालित करने में विभागीय भूमिका और प्रयास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के माध्यम से उन संवेदनशील समुदाय तक कार्यक्रम को पहुंचाने में मदद मिलेगी, जिनको वास्तव में इसकी जरूरत है। राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र भटनागर ने कहा कि एचआईवी ग्रसित में टीबी और टीबी ग्रसित में एचआईवी होने की पूरी सम्भावना होती है। इसी लिए इन दोनों स्थितियों में ही दोनों बीमारियों की जांच सुनिश्चित करायी जाती है। उन्होंने कहा कि वह पिछले 24 वर्षों से क्षय रोग पर काम कर रहे हैं। अपने लम्बे अनुभवों के आधार पर इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में हर स्तर पर सहयोग का उन्होंने भरोसा दिया और कार्यक्रम में उपस्थित इन जिलों के क्षय रोग अधिकारियों और एआरटी सेंटर के प्रभारियों को भी इसमें बड़ी भूमिका निभाने की बात कही। कार्यक्रम को वाईआरजी केयर संस्था के सीओओ ए. के. कृष्णन, संस्था की प्रोग्राम मैनेजर संध्या कृष्णन और यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की शुभ्रा मित्तल ने भी संबोधित किया। इस मौके पर संस्था के प्रतिनिधि और यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के कर्मचारी भी उपस्थित रहे। अंत में खुला सत्र में लोगों के सवालों के जवाब भी दिए गए।