देखिए अब तक का सबसे बड़ा खुलासा : पेट्रो डॉलर के ‘असली किंग’ तो हिंदू ही हैं

कई साल पहले 1981 में लगभग 800 दलितों ने तमिलनाडु के मीनाक्षीपुरम में इस्लाम धर्म अपनाया था. उस समय ये कहा गया कि दलितों के धर्म परिवर्तन के लिए ‘बाहर से आये पैसों’ का इस्तेमाल किया गया था. मीडिया ने इसे ‘पेट्रो डॉलर’ का नाम दिया था. ‘पेट्रो डॉलर’ का मतलब था वो पैसा जो खाड़ी देशों, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब से भेजा गया था.

दूसरे शब्दों में मुस्लिम देशों के पैसे. वो समय था इन देशों में ज़बरदस्त विकास का. इन देशों के विकास में भारत से गए मज़दूरों का योगदान था जो अपने घर हर महीने पैसे भेजते थे. इस कारण मज़दूरों के घर वालों की आर्थिक स्थिति सुधरी थी और उनकी ज़िन्दगी बेहतर हुई थी. इन मज़दूरों में एक बड़ी संख्या थी भारतीय मुसलमानों की जो ‘पेट्रो डॉलर’ की कमाई से पहले ग़रीबी से जूझ रहे थे.
हालांकि उस समय कई लोगों ने कहा था कि मीनाक्षीपुरम में धर्म परिवर्तन पैसों के कारण नहीं, बल्कि दलितों के ख़िलाफ़ भेदभाव की वजह से हुआ था. धर्म परिवर्तन करने वालों ने भी ऐसा ही तर्क दिया था. सालों तक ‘पेट्रो डॉलर’ के नाम पर मुसलमानों पर तंज़ किया गया. अगर किसी मुसलमान ने तरक़्क़ी की तो ऐसा कहा गया कि ‘पेट्रो डॉलर’ की वजह से उसने कामयाबी हासिल की.

लेकिन अभी हाल में अमीरात के अपने पहले दौरे पर हमें समझ में आया कि ये कितनी बड़ी कल्पित कथा थी. बल्कि ये एक बड़ा झूठ था. अमीरात में भारत से आए लोगों ने खूब कामयाबी हासिल की है. इनमें भारत से आए मुसलमानों की संख्या से कहीं अधिक हिन्दुओं की तादाद है. यही हाल खाड़ी देशों और सऊदी अरब का है.





