मंदिर में पिछड़ी जाति के व्यक्ति की नियुक्ति, पुजारी के विरोध के बाद दिया गया दूसरा काम

केरल के त्रिशूर जिले के कूडल माणिक्य मंदिर में जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है। एक पिछड़ी जाति के व्यक्ति को देवस्वम भर्ती बोर्ड की परीक्षा पास करने के बाद मंदिर में कझकम पद पर नियुक्त किया गया था। लेकिन मंदिर के मुख्य पुजारी के विरोध के कारण उसे दूसरे कार्य में लगा दिया गया।

मंदिर में फूलों की माला बनाना और अन्य पूजा से जुड़ी सजावट व रस्मों को पूरा करने का काम कझकम के अंतर्गत आता है। राज्य मानवाधिकार आयोग (केएसएचआरसी) ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।

आयोग ने रिपोर्ट सौंपने के दिए निर्देश

मामले में आयोग की सदस्य वी गीता ने कोचीन देवस्वम कमिश्नर और कूडलमाणिक्यम मंदिर के कार्यकारी अधिकारी को दो हफ्ते के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा है। केरल के देवस्वोम मंत्री वीएन वासवन ने मंदिर में कथित जातिगत भेदभाव पर सरकार के रुख की पुष्टि करते हुए कहा कि मौजूदा अधिनियमों और नियमों के अनुसार नियुक्त पिछड़े समुदाय के व्यक्ति को वहां काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

विधानसभा में भी उठा ये मुद्दा

विधानसभा में वासवन ने कहा कि जातिगत भेदभाव के आधार पर नौकरी देने से इन्कार करना केरल के सांस्कृतिक समाज के लिए अपमान है। उन्होंने कहा कि राज्य ने 36 गैर-ब्राह्मण लोगों को मंदिरों में पुजारी के रूप में नियुक्त किया है और यह केवल ‘कझकम’ नौकरी से संबंधित मुद्दा है।उन्होंने कहा कि यह मुद्दा दर्शाता है कि छुआछूत और अनैतिक प्रथाएं अभी भी कई लोगों के दिमाग में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि जाति के आधार पर नौकरी देने से इनकार करना बेहद निंदनीय है। कूडलमाणिक्यम मंदिर में भगवान राम के तीसरे भरत की पूजा होगी है।

मंदिर के पुजारियों ने किया इनकार

मंदिर के पुजारियों ने कथित तौर पर पिछड़ी जाति से आने वाले व्यक्ति की नियुक्ति का विरोध किया और मंदिर की पूजा-पाठ में भाग लेने से इनकार कर दिया। हालांकि, मंदिर प्रशासन ने साफ कहा कि मुख्य पुजारी मंदिर प्रशासन के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते और भर्ती बोर्ड द्वारा की गई नियुक्ति को बदला नहीं जा सकता। अगर मुख्य पुजारी इस फैसले से असहमत हैं, तो वे कानूनी रास्ता अपना सकते हैं।

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