SEBI अब ढोल बजाकर नहीं करेगी नीलामी, नए तरीके से होगा यह काम
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किसी नीलामी के लिए डुग-डुगी बजाकर या मुनादी लगा कर जनता को आकर्षित करने के अपने फायदे होते होंगे. लेकिन बजार विनियामक सेबी को लगता है कि ये तरीके बीते जमाने की बात हो गए हैं और आज के समय में नए तरीकों से अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं. सेबी को शुल्क भरने में चूक करने या आदेश के अनुसार भुगतान न करने वाली इकाइयों की सम्पत्ति बेचकर वसूली करने के अधिकार हैं. इन अधिकारों की समीक्षा के समय नीलामी के दौरान अपनाये जाने वाले इन पुराने तरीकों की बात सामने आयी.
संपत्ति को जब्त करने और वसूली का अधिकार
अधिकारियों ने कहा कि सेबी जुर्माना, शुल्क, वसूली की राशि या रिफंड के आदेश के संबंध में वसूली के नए नियम तैयार करने के लिये वित्त मंत्रालय से परामर्श कर रहा है. सेबी के पास लोन की किस्तें चुकाने में चूक करने वाले डिफॉल्टर की संपत्ति और बैंक खाते जब्त करने, डिफॉल्टर को गिरफ्तार करने या उसे हिरासत में लेने और डिफॉल्टर की चल एवं अचल संपत्तियों के प्रबंधन के लिए किसी को नियुक्त करने का अधिकार है.
अखबारों में विज्ञापन और ई-नीलामी संभव
अधिकारी के अनुसार, सेबी ने सरकार के समक्ष प्रस्तुति में कहा, ‘आयकर अधिनियम के कुछ प्रावधान पुराने हो गए हैं, जैसे कि ढोल बजाना और सार्वजनिक नीलामी. अखबारों में विज्ञापन और ई-नीलामी जैसे नए तरीके बेहतर परिणाम दे सकते हैं.’ सेबी ने वसूली के तेज और प्रभावी तरीकों को अमल में लाने के लिये सरकार को नियमों में आवश्यक संशोधन करने के लिए कहा है.
आईटी अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के तहत किसी भी संपत्ति को जब्त करने से पहले किसी जाने-माने स्थान या जब्त की जाने वाली संपत्ति के पास डुग-डुगी पिटवा कर या मुनादी (पुकार) लगवा कर कुर्की आदि के आदेश की घोषणा करनी होती है. इसके अलावा जब्ती के आदेश को उक्त संपत्ति के परिसर में जनता को स्पष्ट रूप से दिखने वाले स्थान पर तथा कर वसूली अधिकारी के कार्यालय के बोर्ड पर चिपकाना होता है.
मंत्रालय ने सेबी के सुझाव के जवाब में कहा कि आईटी अधिनियम के वसूली के प्रावधानों को सेबी अधिनियम के तहत संशोधित किया जा सकता है और यह अधिकार केंद्र सरकार के पास है. अत: इसमें संशोधन केंद्र सरकार के बनाये नियमों के आधार पर ही होना चाहिये.