वैज्ञानिको ने बताया अब सूंघने से पता चलेगा कोरोना है या नहीं…

अब सूंघने से पता चल जाएगा कि कोरोना हुआ है या नहीं। अगर आपको गंध महसूस नहीं हुई तो आप कोरोना संक्रमित मरीज हो सकते हैं।

मोहाली के नेशनल एग्री-फूड बॉयो टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (नाबी) के वैज्ञानिक कोविड-19 की प्राथमिक जांच के लिए किट तैयार कर रहे हैं। इसके बाद दफ्तरों, शोरूम व कॉमर्शियल प्लेस पर आने वाले लोगों की गंध से कोरोना महामारी के लक्षणों की पहचान की जा सकेगी। इस रिसर्च में पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों की टीम भी सहयोग कर रही है। इस कोरोना रैपिड टेस्टिंग किट को घर व रसोई में इस्तेमाल होने वाली चीजों से तैयार किया जा रहा है।

नाबी के वैज्ञानिक कोरोना की प्राथमिक जांच के लिए किट तैयार करने में जुटे हैं। इसकी शुरुआती सफलता से वैज्ञानिक उत्साहित हैं। अभी इस पर फाइनल रिसर्च जारी है। कामयाबी मिलने के बाद इस प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार व आयुष मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद इसे व्यावसायिक रूप से बाजार में आने में छह महीने का वक्त लगेगा। नाबी के साइंटिस्ट डॉ. महेंद्र विश्नोई इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इस रिसर्च में डॉ विश्नोई को उनकी टेक्निकल व लैब टीम के साथ पीजीआई के डॉक्टर भी सहयोग दे रहे हैं।

डॉ. विश्नोई ने बताया कि किट को तैयार करने में घरेलू चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिनमें अधिकांश रसोई में इस्तेमाल होने वाले फूड प्रोडक्ट्स हैं। शुरुआती टेस्टिंग में जो खामियां मिलीं, अब उन पर काम चल रहा है। अब लैब में उनके प्यूरीफाइड वर्जन तैयार किए जा रहे हैं। इसके बाद किट का क्लीनिकल ट्रायल, एप्रूवल व औद्योगिक उत्पादन की पूरी प्रक्रिया में करीब 6 महीने का वक्त लग सकता है।

ऐसे काम करेगी रैपिड टेस्टिंग किट
नाबी की कोरोना रैपिड टेस्टिंग किट के उपयोग में किसी तरह का सैंपल नहीं लिया जाएगा। डॉ. महेंद्र बिश्नोई का कहना है कि किट वायरस के शरीर में मौजूदगी के लक्षणों की पहचान करने में सहायक होगी। इस किट में दिए पदार्थ को सूंघना होगा। जिस व्यक्ति को किट सूंघने पर गंध महसूस होगी, उसमें कोरोना के लक्षण नहीं होंगे। लेकिन जिस व्यक्ति को किट सूंघने के बाद कोई गंध महसूस नहीं होगी, उसमें कोरोना वायरस के प्राथमिक लक्षण माने जाएंगे। लेकिन कोविड-19 वायरस का निर्धारण फाइनल टेस्टिंग से ही होगा। उनका कहना है कि किट का इस्तेमाल दफ्तरों व कॉमर्शियल प्लेस में आने वाले लोगों के लिए किया जा सकेगा। यह रैपिड किट संक्रमण के फैलाव को रोकने में सहायक होगी।

90 लोगों पर शुरुआती ट्रायल
कोरोना की रैपिड टेस्टिंग किट का प्रारंभिक ट्रायल 90 लोगों पर किया गया। 50 लोगों पर पीजीआई चंडीगढ़ में व 40 लोगों पर दूसरी जगहों पर ट्रायल किया गया। ये सभी लोग ऐसे थे, जिनमें कोविड-19 के लक्षण नहीं थे। डॉ. बिश्नोई बताते हैं कि शुरूआती ट्रायल के दौरान स्मेल  को लेकर कुछ सवाल हमारे सामने आए, जैसे बुजुर्गों में ग्रंथियों की कमजोरी से सूंघने की शक्ति का कम होना। इसी तरह सामान्य जुकाम, खांसी या बुखार से पीड़ित व्यक्तियों द्वारा सही गंध महसूस न कर पाना। किट में ऐसी समस्या न आए, इसलिए किट में इस्तेमाल होने वाली चीजों के प्यूरीफाइड वर्जन तैयार किए जा रहे हैं।

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