सुप्रीम कोर्ट ने ED के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार दिए जाने पर सख्त रुख अपनाया

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार दिए जाने पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से सवाल किया और पूछा कि क्या “एक व्यक्ति इतना अपरिहार्य हो सकता है?” कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि क्या एजेंसी में कोई दूसरा काबिल और सक्षम अधिकारी नहीं है, जिसे इस पद पर बिठाया जा सके?

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की तीन सदस्यीय खंडपीठ प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख के कार्यकाल के साथ-साथ केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अधिनियम, 2021 के नए विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रही थी। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामवले की पैरवी कर रहे थे।

खंडपीठ ने कहा, “आप के अनुसार, ईडी में कोई और काबिल नहीं है, फिर 2023 के बाद एजेंसी का क्या होगा, जब वह सेवानिवृत्त हो जाएंगे?” बता दें कि शीर्ष अदालत वर्तमान में मिश्रा को दिए गए सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। याचिका में कहा गया है कि 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी को नवंबर 2021 के बाद और सेवा विस्तार नहीं मिलना चाहिए था।

मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने तब सवालों की झड़ी लगा दी, जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संजय कुमार मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार दिए जाने के केंद्र के फैसले को इस आधार पर सही ठहराते हुए केंद्र का बचाव करने की कोशिश की कि इस साल ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक आयोजित होनी है।

मिश्रा को शुरुआत में ईडी निदेशक के रूप में दो साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था, जो नवंबर 2020 में समाप्त हो रहा था। बाद में उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही, उन्हें एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था, जिसे एक एनजीओ, कॉमन कॉज़ ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।

सितंबर 2021 में एक फैसले में अदालत ने यह देखते हुए मिश्रा के सेवा विस्तार की अनुमति दे दी थी कि उनका कार्यकाल लगभग दो महीने में समाप्त हो रहा है। हालाँकि, अदालती फैसले में स्पष्ट था कि मिश्रा को और कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने 15 नवंबर, 2021 को ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो के प्रमुखों की नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन किए।

इस संशोधन ने सरकार को सीबीआई और ईडी प्रमुखों के कार्यकाल को उनके दो साल के कार्यकाल के अतिरिक्त तीन साल की अवधि के लिए एक-एक साल का विस्तार देने की अनुमति दे दी। बाद में इन संशोधनों को कांग्रेस नेताओं रणदीप सिंह सुरजेवाला, जया ठाकुर, और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा सहित अन्य द्वारा दायर याचिकाओं के एक समूह में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई है। इसी संशोधन के तहत मिश्रा को नवंबर 2021 से नवंबर 2022 तक विस्तार मिला था। पिछले नवंबर में, उनका कार्यकाल एक अधिसूचना द्वारा नवंबर 2023 तक और बढ़ा दिया गया है।

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