SBI: पाकिस्तान समेत 7 पड़ोसी देशों की संयुक्त अर्थव्यवस्था पर भारी एसबीआई की बैलेंसशीट

महज 15 अरब डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के बल पर भारत के साथ लड़ रहा पाकिस्तान किसी भी पैमाने पर हमारे देश के समक्ष नहीं टिक सकता है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के खाता-बही को देखें तो यह हमारे पड़ोसी सात देशों की संयुक्त जीडीपी से भी ज्यादा है जिसमें पाकिस्तान भी शामिल है।

एसबीआई समूह का खाता-बही 858.82 अरब डॉलर यानी 73.14 लाख करोड़ रुपये है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ के अनुसार, 2024 में सात देशों की अर्थव्यवस्था 611.05 अरब डॉलर रही। यानी एसबीआई के खाता-बही से करीब 200 अरब डॉलर कम है। मालदीव की अर्थव्यवस्था का आकार 7.48 अरब डॉलर रहा है। पाकिस्तान की 373 अरब डॉलर व नेपाल की जीडीपी 46 अरब डॉलर है।

भूटान की जीडीपी 3.42 अरब डॉलर, म्यामार की 64.94 अरब डॉलर, अफगानिस्तान की 17.25 अरब डॉलर व श्रीलंका की 98.96 अरब डॉलर है। पाकिस्तान और बांग्लादेश को मिला लिया जाए तो भी एसबीआई अकेले काफी है। बांग्लादेश की जीडीपी 467 अरब डॉलर व पाक की 373 अरब डॉलर है। दोनों मिलकर भी एसबीआई से 19 अरब डॉलर पीछे हैं।

संघर्ष से पाकिस्तान पर बड़ा अप्रत्यक्ष आर्थिक प्रभाव भी
पाकिस्तान के लिए भारत के साथ संघर्ष का अप्रत्यक्ष आर्थिक प्रभाव भी बहुत बड़ा होगा। आर्थिक गतिविधियों में रुकावट और समग्र आर्थिक अनिश्चितता से जीडीपी को 25 अरब डॉलर तक का चूना लग सकता है। वित्तीय बाजार की अस्थिरता और मुद्रा अवमूल्यन के कारण भी पाकिस्तान को 15 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसके अलावे व्यापार और आपूर्ति शृंखला में व्यवधान से लगभग 12 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।

5 अरब डॉलर के नुकसान का अनुमान
एफडीआई प्रवाह और आईएमएफ से जुड़ा 5 अरब डॉलर का नुकसान भी पाकिस्तान को उठाना पड़ सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स में किए गए दावों के अनुसार पाकिस्तान और भारत दोनों को संघर्ष जारी रहने से चार सप्ताह की अवधि में करीब $500 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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