शनि की साढ़ेसाती व शनि ढैय्या का असर कई राशियों पर बहुत कम होता है। जानें क्या ये आपकी राशि है-

नवग्रहों में शनि को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और इनकी कृपा से व्यक्ति का भाग्य रातों-रात बदल सकता है। हालांकि अगर जन्म कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर होती है या शनिदेव की तिरछी नजर आपकी राशि पर होती है तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जीवन के कई क्षेत्रों में समस्याएं आने लगती हैं और काम में बाधा आने लगती है।

शनि राशि परिवर्तन में लगता है ढाई साल का समय-

शनि एक राशि से दूसरी राशि में गोचर में लगभग ढाई वर्ष का समय लेते हैं क्योंकि यह सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं। शनि की साढ़ेसाती के इस ढाई वर्ष की अवधि को ढैय्या के नाम से जाना जाता है। इसी तरह शनि की साढ़े साती की अवधि को साढ़ेसाती के नाम से जाना जाता है। शनि की साढ़े साती और ढैय्या व्यक्ति के जीवन के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण चरण माने जाते हैं। यह अवधि जीवन में लगातार उतार-चढ़ाव दिखाती है और इसमें किसी के भाग्य को पूरी तरह से बदलने की शक्ति होती है।

इन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का नहीं पड़ता प्रभाव-

अगर किसी जातक की जन्मकुंडली में पहले से ही किसी ग्रह की शुभ दशा चल रही हो और उसी समय शनि की साढ़े साती शुरू हो जाती है तो शनि की दशा के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं। कार्य में बाधा नहीं आती और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। मकर और कुंभ राशि का स्वामी शनि हैं और तुला राशि में उच्च के रहते हैं।ऐसे में मकर, कुंभ और तुला राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव नहीं होता है।

जिन जातकों की जन्म कुंडली के तीसरे, छठे, आठवें या बारहवें भाव में शनि उच्च अवस्था में होता है, वे साढ़े साती के प्रतिकूल प्रभावों से अप्रभावित रहते हैं और शनि उन्हें शुभ फल प्रदान करता है।

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