भारत के लिए रवाना हुए पीएम मोदी, जानें क्या स्पेशल रहा इस दौरे पर…
भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन दौरा खत्म हो गया हो, लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ उनकी दोस्ती को दूर तक देखा जा रहा है। जिस तरह से प्रोटोकॉल को तोड़कर चिनफिंग ने पीएम मोदी से अनौपचारिक बातचीत की, उससे यहीं लगता है कि चीन भारत से अपने संबंधों को मजबूती देना चाहता है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है जब चीन के राष्ट्रपति ने किसी प्रधानमंत्री से अनौपचारिक भेंट की हो। इससे पहले प्रधानमंत्री की आधिकारिक मुलाकात चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग से होती थी। इसके बाद ही वह राष्ट्रपति से मिल पाते थे।
वहीं, मोदी के साथ झील के किनारे की सैर से लेकर नाव की सवारी व चाय पर चर्चा से यह जाहिर होता है कि इस मुलाकात ने दोनों देशों के बीच की खटास को खत्म करने का काम किया है। जाहिर है कि पिछले साल 72 दिनों तक चले डोकलाम गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच खींचतान देखने को मिल रही थी। लेकिन जिस तरह से दोनों देशों के नेताओं ने साथ मिलकर चलने की बात कही और चिनफिंग ने भी कहा कि विकास और शांति के लिए आपसी सहयोग जरूरी है। इसलिए आगे भी बैठकें होती रहनी चाहिए। इससे जाहिर है कि ये दोस्ती आगे तक चलने वाली है।
पीएम की यात्रा खत्म, भारत के लिए रवाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिवसीय चीन यात्रा खत्म कर भारत के लिए रवाना हो गए है। 27 अप्रैल को अनौपचारिक बैठक में हिस्सा लेने के लिए पीएम मोदी चीन पहुंचे थे। इन दो दिनों (27-28 अप्रैल) में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच कई दौर की मुलाकात हुई। मोदी और चिनफिंग की इस मुलाकात पर न सिर्फ भारत और चीन बल्कि पूरी दुनिया की निगाहें टिकी रहीं। इस मुलाकात की एक खास वजह यह भी थी कि पिछले साल 72 दिनों तक चले डोकलाम गतिरोध के बाद पहली बार दोनों नेताओं की मुलाकात हुई। वहीं, मोदी और चिनफिंग के बीच अनौपचारिक मुलाकात हुई। यानी इस यात्रा के दौरान न तो किसी समझौते पर हस्ताक्षर हुए और न ही कोई संयुक्त बयान जारी किया गया।
झील किनारे सैर से लेकर चाय पर चर्चा तक…
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भारत ने निकाली CPEC की काट!
पीएम मोदी और शी चिनफिंग की मुलाकात भारत के लिए काफी फायदेमंद साबित होने वाली है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत और चीन के बीच अफगानिस्तान में एक संयुक्त आर्थिक परियोजना पर सहमति बन गई है। यह प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीइसी) का तोड़ माना जा रहा है। बता दें कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर भारत का ऐतराज है, क्योंकि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरेगी।
ईस्ट लेक के किनारे टहलते हुए मोदी-चिनफिंग
मोदी-चिनफिंग की चाय पर चर्चा
दोनों नेताओं ने की नाव की सवारी
1982 के हिट बॉलीवुड गाने ‘तू है वही…’का आनंद लेते मोदी-चिनफिंग
मुलाकात पर विदेश मंत्रालय का बयान
मोदी-चिनफिंग की मुलाकात को लेकर विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय महत्व के द्विपक्षीय संबंधों पर कोई समझौता नहीं हुआ है, बस चर्चा हुई है। भारतीय विदेश सचिव ने बताया कि…
– दोनों नेताओं ने आतंकवाद की कड़ी आलोचना की है
– दोनों देश पीपल-टू-पीपल संबंधों को मजबूत बनाने की कोशिश करेंगे
– भारत और चीन के बीच व्यापार संतुलन को लेकर भी बातचीत हुई
– दोनों देशों के बीच सीमावर्ती इलाकों में शांति बनाए रखने पर चर्चा हुई
– व्यापार, पर्यटन, संस्कृति, ग्लोबल वॉर्मिंग, द्विपक्षीय संबंधों, रणनीतिक और दीर्घकालिक साझेदारी को लेकर चर्चा हुई
– भारतीय विदेश सचिव ने बताया कि दोनों देशों के नेताओं के बीच चार दौर की बातचीत हुई
– दोनों देशों के नेताओं की बातचीत से इनके रिश्तों में मजबूती आएगी: भारतीय विदेश सचिव
जब मिले मोदी- चिनफिंग
बता दें कि शुक्रवार को दोनों नेताओं की पहली मुलाकात हुबेई म्यूजियम में हुई। दोनों नेताओं ने म्यूजियम भी देखा। दूसरी वार्ता ईस्ट लेक के पास स्टेट गेस्ट हाउस में हुई। इसमें प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुए। दोनों नेताओं के बीच तीसरी बार बातचीत डिनर के बाद हुई। इसके बाद चिनफिंग मोदी को कार तक छोड़ने भी आए।
साथ मिलकर चलेंगे भारत और चीन
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अनौपचारिक दो दिवसीय वार्ता के लिए वुहान पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रवार को भव्य स्वागत किया गया। चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन विश्व शांति के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश साथ मिलकर चलने को तैयार हैं। चिनफिंग ने भी कहा कि विकास और शांति के लिए आपसी सहयोग जरूरी है। इसलिए आगे भी बैठकें होती रहनी चाहिए। इन बयानों से साफ है कि जून 2017 में छिड़े और 73 दिन चले डोकलाम विवाद के 11 माह बाद दोनों देश अब इससे आगे बढ़ गए हैं।
शुक्रवार शाम दोनों नेताओं के बीच बैठक हुई, जिसमें दोनों देशों की ओर से छह-छह शीर्ष अधिकारी भी थे। भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी थे। इस बातचीत के लिए आधा घंटा निर्धारित था, लेकिन यह दो घंटे से ज्यादा समय तक चली। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘न्यू इंडिया’ और चीन के ‘न्यू एरा’ की कोशिश दुनिया के हित में है क्योंकि दुनिया की 40 फीसद आबादी इन्हीं दो देशों में रहती है। भारत और चीन पिछले 2000 साल में से 1600 साल से वैश्विक आर्थिक विकास में दो इंजन की तरह काम कर रहे हैं। भारत-चीन मिलकर दुनिया को कई समस्याओं से निजात दिला सकते हैं।
स्ट्रैंथ की नई परिभाषा
प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए ‘स्ट्रैंथ’ को नए सिरे से परिभाषित किया। इसके मुताबिक, एस- स्प्रिचुएलिटी, टी- ट्रेडिशन, ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी; आर- रिलेशनशिप; ई- एंटरटेनमेंट; एन- नेचर कंजरवेशन; जी- गेम्स; टी- टूरिज्म और एच- हेल्थ एंड हीलिंग।
अगले साल भारत आने का न्योता
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अनौपचारिक समिट के जरिये बेहद सकारात्मक माहौल बनाया गया और आपने (चिनफिंग) व्यक्तिगत तौर पर इसमें बड़ा और अहम योगदान दिया है। उन्होंने कहा, ‘यह भारतीयों के लिए गर्व की बात है और मैं शायद भारत का पहला ऐसा प्रधानमंत्री हूं जिसकी अगवानी के लिए आप (शी चिनफिंग) दो-दो बार राजधानी से बाहर आए हैं।’
उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वक्त में ऐसी अनौपचारिक वार्ताएं परंपरा का हिस्सा बन जाएंगी। अगर 2019 में ऐसी ही कोई समिट भारत में हो तो उन्हें काफी खुशी होगी। इसके लिए मोदी ने लगे हाथ चिनफिंग को न्योता भी दे दिया। चिनफिंग ने कहा, ‘मैं भविष्य में यकीन करता हूं। हम इसी तरह आगे भी समय-समय पर मुलाकातें कर सकते हैं। साझा समझ बना सकते हैं, ताकि दोनों देशों के रिश्ते अगली पायदान पर पहुंच सकें।’
30 सेकंड हाथ थामे रहे चिनफिंग
इससे पहले चीन के नायक रहे माओत्से तुंग के पसंदीदा पर्यटन शहर वुहान में चिनफिंग ने मोदी का हुबेई प्रोविंशियल म्यूजियम में समारोहपूर्वक व गर्मजोशी से स्वागत किया। इस मौके पर राष्ट्रपति चिनफिंग 30 सेकंड तक मोदी का हाथ थामे रहे। इस मौके पर मोदी ने चिनफिंग को जाने-माने चीनी कलाकार शू बीहांग की दो पेंटिंगों की प्रतियां भेंट की। शू ने ये पेंटिंग रविंद्रनाथ टैगोर के विश्व भारती में प्रवास के दौरान बनाई थीं।
दिल से जुड़ेगा दिल
मालूम हो कि इस अनौपचारिक वार्ता को ‘दिल से दिल को जोड़ने वाली पहल’ करार दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच कुछ अति विवादास्पद मुद्दों पर सहमति की राह खोजना है। पहले दिन की बातचीत के बाद प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा भी, ‘हमने व्यापक और फलदायी बातचीत की। हमने मजबूत भारत-चीन संबंधों के अलावा अन्य वैश्विक मसलों पर भी विचार-विमर्श किया।’