अभी अभी: ब्रिक्स सम्मेलन: रूस बोला-डोकलाम पर चीन की नहीं सुनेंगे, वहां भारत जीत…!

नई दिल्ली: रूस ने डोकलाम के मुद्दे पर तटस्थ रवैया अपनाया है। रूस ने भारत को बदनाम करने वाली चीन की नीति के बहकावे में आने से इनकार कर दिया है। इस मुद्दे पर मॉस्को के रुख का असर भारत और रूस रिश्तों पर भी पड़ेगा।

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इससे ब्रिक्स सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका भी प्रभावित होती। चीन की कोस्टल सिटी जियामेन में रविवार को ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के लीडर्स सम्मेलन में शिरकत करेंगे।

डोकलाम विवाद पर रूस का रुख चीन में मौजूद उसके एम्बेसडर एंद्रे जिनसोव के बयान से भी साफ हो गया था। रूसी एम्बेसडर ने बीजिंग में रशियन जर्नलिस्ट्स से ब्रीफिंग में कहा था, ‘भारत-चीन सीमा पर जो हालात हैं, उससे हमसब दुखी हैं।’

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यह बयान डोकलाम विवाद थमने से कुछ घंटों पहले आया था, जब 28 अगस्त को सैनिकों को वापस बुलाने के भारत-चीन समझौते का ऐलान हुआ था। एंद्रे ने कहा था, ‘हमें लगता है कि हमारे चीनी और भारतीय दोस्त खुद ही इस समस्या का हल निकाल सकते हैं। हमें नहीं लगता कि उन्हें किसी मध्यस्थ की जरूरत है जो इस मुद्दे पर उनके अपने दावों को प्रभावित करे।’

डोकलाम मुद्दे पर तटस्थ रवैये का संकेत देते हुए एंद्रे ने आगे कहा, ‘हम यही कह सकते हैं कि रूस दोनों देशों के साथ सद्भाव का इस्तेमाल कर रहा है।’ एंद्रे के बयान से पता चलता है कि चीनी डिप्लोमैट की ओर से सीमा विवाद पर भारत के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चाबंदी करने की दो हफ्ते की कोशिशों का असर रूस पर भी नहीं हुआ। जबकि चीन को दूसरे पश्चिमी देशों के मुकाबले चीन से ज्यादा करीब माना जाता है। रूसी राजदूत ने यह भी संकेत दिए कि रूस ने वैश्विक मामलों में वक्त-वक्त पर अपनी भूमिका निभाई है, जब-जब वह ऐसा कर सकता था।

टाइम्स के पास मौजूद एंद्रे के बयान के मुताबिक उन्होंने कहा, ’20वीं सदी का इतिहास बताता है कि जब कभी भी हमारे देश को पॉजीटिव रोल अदा करने (अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने) का मौका मिला, हमने किया।’

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